हरी सिंह हाई स्ट्रीट में अपनी दुकान के भीतर जम चुके गाद और मिट्टी को निकाल रहे एक दुकानदार शौकत का कहना था कि जब हम किसी को कुछ बेच ही नहीं पाएंगे तो हम क्या ईद मना पाएंगे। यही दशा सबकी है। सबकी प्राथमिकताएं दो वक्त की रोटी, क्षतिग्रस्त मकानों और दुकानों को फिर से खड़ा करने की है और ऐेसे में ईद पर होने वाला खर्चा कहां से आएगा यह भी कश्मीरियों के लिए बड़ा सवाल है।