राजद सुप्रीमों ने मुख्यमंत्री से पूछा कि 25 जुलाई 2013 को संजीत कुमार नाम के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री बिहार को सृजन महिला बैंक चलाने और करोड़ों के गबन संबंधित जानकारी देते हुए एक विस्तृत पत्र लिखा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उस पर कोई कार्यवाही नहीं करके घोटाला करने वालों को बचाया ही नहीं, बल्कि उन्हें सरकारी खजाना लूटने के लिए प्रेरित किया।
इसी तरह 9 सितंबर 2013 को रिजर्व बैंक ने, बिहार सरकार को पत्र लिखकर सृजन समिति में हो रहे घोटाले और वित्तीय अनियमितता की जांच करने को कहा था। रिजर्व बैंक ने कोऑपरेटिव रजिस्ट्रार को भी कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। मुख्यमंत्री ने रिजर्व बैंक के संदेह को भी दरकिनार करते हुए लगातार घोटालेबाजों का सहयोग किया।
यादव ने कहा कि भागलपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने सृजन मामले में शिकायत मिलने पर जांच का आदेश दिया था, लेकिन जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आई। नीतीश को बताना चाहिए कि उस जांच रिपोर्ट को क्यों दबाया गया और ऐसा कर किसे फायदा पहुंचाया गया। वहीं, साल 2013 में सृजन घोटाले में जांच का आदेश देने वाले जिलाधिकारी का मुख्यमंत्री ने तबादला क्यों किया। (वार्ता)