बहरहाल, अधिक दिव्यांगता दिखाने के इच्छुक धर्मवीर ने दिव्यांग प्रमाणपत्र जारी करने वाले बोर्ड के बाबू तथा हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. लाल सिंह से मिलीभगत कर मंगलवार को तहसील दिवस के दौरान मनमाफिक प्रमाणपत्र बनवा लिया।
डॉ शेर सिंह ने बताया कि प्रमाणपत्र पर सीएमओ के भी हस्ताक्षर थे जो हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक ने अन्य प्रमाणपत्रों के बीच रखकर करा लिए थे। लेकिन शिविर समाप्ति के समय प्रमाणपत्रों की दिव्यांग रजिस्टर में प्रविष्टि के दौरान, एक दिन पहले ही बनवाए गए प्रमाणपत्र से मिलान होने पर मामला पकड़ में आ गया।
सीएमओ ने सोमवार को विकलांग बोर्ड में मौजूद रहे डॉ. मुनीष पौरुष एवं डॉ. प्रभाकर से इस बारे में पूछताछ की। डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि प्रमाणपत्र 40 प्रतिशत का बना था, वहीं मंगलवार को जारी करवाया गया स्थाई प्रमाणपत्र 42 प्रतिशत का बनाया गया।