जम्मू। यह सच है कि पूर्व फायरब्रांड मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की 14 महीनों की नजरबंदी के दौरान उनकी पार्टी के कई साथी उनको तथा पार्टी को छोड़कर चले गए थे। अब पार्टी को मजबूत करने तथा खोए हुए राज्य के दर्जे के साथ ही विशेषाधिकार को पाने की मुहिम के लिए महबूबा पार्टी को एकजुट करने की मुहिम में जुट गई हैं। इस मुहिम की शुरुआत उन्होंने अब्बाजान स्व. मुफ्ती मुहम्मद सईद से आशीर्वाद प्राप्त कर की है।
महबूबा ने गुरुवार को दक्षिण कश्मीर के बीजबेहाड़ा में स्थित अपने पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद की कब्र पर जाकर उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ भी की। बीजबेहाड़ा पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का पैतृक कस्बा है।
महबूबा मुफ्ती को 5 अगस्त 2019 की तड़के प्रदेश प्रशासन ने एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया था। उन्हें करीब 434 दिन बाद मंगलवार की रात को ही रिहा किया गया है। इससे पहले बुधवार सुबह महबूबा ने गुपकार मार्ग पर स्थित सरकारी निवास पर पीडीपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। इसमें एक साल के राजनीतिक घटनाक्रम और कश्मीर के हालात पर विचार विमर्श हुआ।
यह सच है कि पिछले साल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के ज्यादातर वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी और उसके बाद इसके भविष्य को लेकर प्रश्नचिह्न लगाए जाने लगे थे। लेकिन पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की मंगलवार रात रिहाई के बाद उनके आवास पर कार्यकर्ताओं की भीड़ से नई उम्मीदें दिखने लगी हैं।
महबूबा को 14 महीनों के बाद रिहा किया गया है। बुधवार को महबूबा के आधिकारिक निवास फेयरव्यू बंगला पर कार्यकर्ताओं का तांता लगा रहा। अपनी नेता से मिलने की उम्मीद में आए कार्यकर्ताओं में वृद्ध भी शामिल थे।
महबूबा के प्रशंसक उन्हें 'आयरन लेडी ऑफ कश्मीर' कह रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष ने मिलने वाले कार्यकर्ताओं को यह संदेश दिया कि वह संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। पीडीपी पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर राज्य की पहली और आखिरी महिला मुख्यमंत्री महबूबा की छवि को बेहतर बनाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रही हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उनकी मुलाकातों के वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की जा रही हैं।
अपनी नेता से मिलने आए कार्यकर्ताओं में दक्षिण कश्मीर के नूर मोहम्मद भी शामिल थे जो बुढ़ापे के कारण मुश्किल से खड़े हो पा रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं सुबह छह बजे घर से निकला ताकि अपनी बहन और नेता महबूबा जी से मिलने के बाद ही लौटूं। उनके पिता (दिवंगत मुफ्ती मुहम्मद सईद) धन्य थे, वह भी ऐसी ही हैं। महबूबा के घर के बाहर का दृश्य पिछले साल के ठीक विपरीत था जब एक के बाद एक नेता पीडीपी को छोड़ रहे थे।
All the signatories to the Gupkar declaration have given a formal name to the grouping: People's Alliance. The alliance will constitutionaly fight for the restoration of August 4 position of J&K. pic.twitter.com/HJJfdF4DGo
उन नेताओं ने बाद में अल्ताफ बुखारी के साथ हाथ मिलाया, जो पूर्व मंत्री और पीडीपी अध्यक्ष के करीबी सहयोगी थे। बुखारी ने बाद में अपनी अलग पार्टी बना ली। अनंतनाग जिले के पार्टी कार्यकर्ता बशीर अहमद ने पीडीपी अध्यक्ष से मुलाकात के बाद कहा कि महबूबा जी को सबसे लंबे समय तक हिरासत में रखा गया था। इससे पता चलता है कि केंद्र की भाजपा सरकार आम लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता से कितनी भयभीत है।