नर्म अलगावादी कार्ड खेलती रही हैं महबूबा मुफ्ती

जम्मू। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को एक क्षेत्रीय ताकत के रूप में तब्दील करने वाली जमीनी स्तर की लोकप्रिय नेता महबूबा मुफ्ती अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए जम्मू-कश्मीर की कमान अपने हाथ में ले चुकी हैं। वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं।
 
विधि स्नातक महबूबा (56) ने अपने पिता के साथ वर्ष 1996 में कांग्रेस से जुड़कर मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखा था। उस समय आतंकवाद अपने चरम पर था। पीडीपी के प्रसार का श्रेय महबूबा को दिया जाता है। कुछ पर्यवेक्षकों का तो यह तक मानना है कि आम जनता और विशेषकर युवाओं को अपने साथ जोड़ने के मामले में वह अपने पिता से भी आगे निकल गईं। उन पर नर्म-अलगाववादी कार्ड खेलने का भी आरोप लगता रहा है।
 
पीडीपी ने अपनी पार्टी के झंडे के लिए हरे रंग का चयन किया और अपने चुनाव चिह्न के रूप में उसने वर्ष 1987 के मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के कलम-दवात को ही चुना। एक-दूसरे से पूरी तरह विपरीत विचारधारा रखने वाले दो दलों पीडीपी और भाजपा के गठबंधन से गठित सरकार का नेतृत्व महबूबा के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि वह अपने पिता की ‘हीलिंग टच’ की विरासत को आगे ले जाने की पूरी कोशिश करेंगी।
 
दो बेटियों की मां महबूबा की छवि एक दबंग नेता की है और उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अपने गृहक्षेत्र बिजबेहडा से जीता था।
 
महबूबा ने वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बने अपने पिता की जीत में एक अहम भूमिका निभाई थी। तब उनके पिता ने दक्षिण कश्मीर से नेकां के उम्मीदवार मुहम्मद यूसुफ टेंग को हराया था। सईद के अंदर कश्मीर में शांति वापस लाने के लिए कुछ करने की एक चाह थी और महबूबा उनके साथ ही थीं। दोनों पिता-पुत्री ने मिलकर वर्ष 1999 में अपनी क्षेत्रीय पार्टी पीडीपी की शुरुआत कर दी।
 
उन्होंने नेकां से नाराज कई नेताओं को अपने साथ लिया। कुछ नेता उस कांग्रेस से भी थे, जिसके साथ सईद ने अपने छह दशक के राजनीतिक करियर का अधिकांश समय बिताया था। नई पार्टी के गठन की जिम्मेदारी महबूबा ने ले ली थी। महबूबा आतंकवाद से जुड़ी हिंसा में मारे गए लोगों के घर जाती थीं। महिलाओं को रोने के लिए अपना कंधा देकर उन्होंने लोगों की और खासतौर पर महिलाओं की नब्ज को छू लिया था।
 
वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में पीडीपी के खाते में 16 सीटें आई थीं और इनमें से अधिकतर सीटें दक्षिण कश्मीर से थीं। इस क्षेत्र में महबूबा ने व्यापक प्रचार किया था और अपनी पार्टी के लिए भारी समर्थन जुटाया था।
 
उनके पिता ने अपनी पूर्व पार्टी कांग्रेस के सहयोग से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। दो साल बाद, महबूबा ने दक्षिण कश्मीर से संसदीय चुनाव लड़ा और वह अपना पहला लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहीं। उन्होंने वर्ष 1999 में भी श्रीनगर से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी उमर अब्दुल्ला ने उन्हें हरा दिया था।
 
महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। वे राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं। इस अवसर पर उनकी बेटी इर्तिबा इकबाल भी मौजूद थीं। उन्होंने अपने मां के मुख्यमंत्री बनने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है मेरी मां राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं। मैं यह उम्मीद करती हूं कि वो जनता से किए गए वायदों को पूरा करेंगी।
 

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