न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा कि व्यक्ति किसी तरह की नरमी का हकदार नहीं है, क्योंकि उसने अपनी ही नाबालिग बेटी के साथ ऐसा कृत्य किया। पीठ ने पीड़िता की गवाही पर यकीन करते हुए कहा कि कोई ऐसा कारण नहीं बनता कि बच्ची अपने ही पिता के खिलाफ झूठा बयान दे और इस संगीन अपराध के लिए उस पर आरोप लगाना आसान नहीं था।