चमत्कार! 7 हाथी भी नहीं खींच सके एक पत्थर...(वीडियो)

कभी-कभी जब विज्ञान के तर्क का दायरा समाप्त होता है तो वहां से दैवीय शक्तियों के होने का अहसास होने लगता है। तमिलनाडु राज्य के महाबलीपुरम कस्बे के पास पड़ा एक शिलाखंड इतना भारी लगता है कि इसे हिलाने में सात हाथियों की ताकत भी जवाब दे गई।  
 
वैज्ञानिकों के लिए रहस्य की बात यह है कि आखिर इस पत्थर में ऐसा क्या है कि इसे सात ‍हाथियों ने मिलकर घसीटना चाहा, लेकिन पत्थर अपनी जगह से हिला तक नहीं। यह पत्थर आज भी वहां पड़ा है जहां से इसे हटाने की कोशिश की गई थी। 
 
इसको लेकर वैज्ञानिक भी असमंजस में हैं कि आखिर यह पत्थर अन्य पत्थरों की तुलना में असामान्य रूप से वजनी क्यों हैं? विदित हो कि इस दुनिया में एक से बढ़कर एक ऐसी रहस्यमय और चमत्कारी चीजें हैं, इनके रहस्यों को आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं। इसलिए लगता है कि यह भी कोई चमत्कारी, रहस्यमय ताकत से प्रभावित है। 
 
इस पत्थर के बारे में जानने वालों का कहना है कि यह पत्थर करीब 1200 साल पुराना है। कहते हैं एक बार इस पत्थर को 7 हाथियों से खिंचवाया गया था ताकि इसे मार्ग से हटाया जा सके, लेकिन ये हाथी इस पत्थर को एक इंच भी नहीं हिला पाए।
तमिलनाडु के महाबलीपुरम में रखा हुए इस पत्थर की ऊंचाई 20 फुट और चौड़ाई 5 फुट है, लेकिन यह पत्थर जिस तरह से अपनी जगह पर टिका है, वह बात भी इसे अनोखा बनाती है। वर्ष 1908 में पहली बार यह पत्थर तब खबरों में आया था, जब यहां के तत्कालीन गवर्नर ने इस पत्थर को अजीब तरह से खड़ा देखा। 
 
उन्हें लगा कि यह पत्थर किसी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकता है। इस कारण उन्होंने करीब 7 हाथियों से इस पत्थर को खिंचवाया, लेकिन 7 हाथी भी मिलकर इस पत्थर को इंच भर भी नहीं हिला पाए। इस पत्थर के साथ बहुत सारी दंतकथाएं भी जुड़ गई हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पत्थर, जमा हुआ मक्खन है, जो कृष्ण ने अपनी बाल अवस्था में यहां गिरा दिया था। तभी से लोग इस पत्थर को ‘कृष्ण की मक्खन की गेंद’ के नाम से भी जानते हैं।
 
वैज्ञानिक भी अभी तक इस पत्थर के रहस्य को नहीं समझ पाए हैं। यहां तक कि वह यह भी नहीं जान पाए हैं कि इस पत्थर को इंसानों ने खड़ा किया है या यह प्रकृति द्वारा इस तरह खड़ा कर दिया गया है।
 

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