बहु-दिव्यांग गुरदीप को मिली सरकारी नौकरी, जानिए बिना देखे, सुने और बोले कैसे करती हैं संवाद

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 2 जुलाई 2025 (15:17 IST)
Multi-disabled Gurdeep got a government job: ‘इंदौर की हेलन केलर’ के रूप में मशहूर 34 वर्षीय गुरदीप कौर वासु बोल, सुन और देख नहीं सकतीं, लेकिन ये शारीरिक बाधाएं उन्हें सरकारी सेवा में आने का सपना देखने से नहीं रोक सकीं। गुरदीप का यह सपना सामाजिक, अकादमिक और सरकारी गलियारों से होकर गुजरे उनके लम्बे संघर्ष के बाद आखिरकार पूरा हो गया है। उन्हें प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग में नियुक्ति मिली है।
 
सामाजिक न्याय कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह देश का पहला मामला है, जब बोल, सुन और देख नहीं सकने वाली कोई महिला सरकारी सेवा में आई है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि कक्षा 12 तक पढ़ी गुरदीप को बहुविकलांगता की श्रेणी में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के तौर पर इंदौर में वाणिज्यिक कर विभाग के एक दफ्तर में पदस्थ किया गया है।
 
योग्यता के आधार पर चयन : विभाग की अतिरिक्त आयुक्त सपना पंकज सोलंकी ने बताया कि दिव्यांगजनों के लिए विशेष भर्ती अभियान के तहत गुरदीप का चयन उनकी योग्यता के आधार पर किया गया है। उन्होंने बताया कि गुरदीप पूरी लगन से काम सीख रही हैं। वह तय समय पर दफ्तर आती-जाती हैं। जाहिर है कि सरकारी सेवा में आने के लिए उनका सफर आसान नहीं था।
 
गुरदीप की मां मनजीत कौर वासु ने अपनी बेटी की उपलब्धि पर भावुक होते हुए कहा कि गुरदीप मेरे परिवार की पहली सदस्य है जो सरकारी नौकरी में आई है। मुझे कल्पना तक नहीं थी कि वह कभी इस मुकाम तक पहुंचेगी। आजकल लोग मुझे मेरे नाम से कम और गुरदीप की मम्मी के नाम से ज्यादा पहचानते हैं।
 
उन्होंने बताया कि गुरदीप प्रसूति की तय तारीख से पहले पैदा हुई थीं और जटिल समस्याओं के चलते उन्हें जन्म के बाद करीब दो महीने तक एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती रखा गया था। मनजीत ने बताया कि उनकी बेटी पांच महीने की उम्र तक किसी भी बात पर प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी, जिसके बाद उनके परिवार को पता चला कि वह बोल, सुन और देख नहीं सकती।
 
देश में पहली बार हुआ : गुरदीप के सरकारी सेवा में आने के बाद दिव्यांगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले लोगों में खुशी का माहौल है। सामाजिक न्याय कार्यकर्ता ज्ञानेंद्र पुरोहित ने कहा कि यह देश में पहली बार हुआ है, जब बोल, सुन और देख नहीं सकने वाली कोई महिला सरकारी सेवा में आई है। यह समूचे दिव्यांग समुदाय के लिए ऐतिहासिक और प्रेरक पल है।
 
उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 में अन्य दिव्यांग उम्मीदवारों की तरह अंध-मूक-बधिर लोगों को भी सरकारी नौकरी में आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन सरकारी तंत्र को इसके अमल के लिए राजी करना बहुत मुश्किल है। पुरोहित ने कहा कि अलग-अलग तरह की दिव्यांगताओं को चुनौती दे रहे गुरदीप जैसे लोग सब कुछ कर सकते हैं। उन्हें बस एक मौका दिए जाने की जरूरत है।
 
इस तरह करती हैं संवाद गुरदीप : सांकेतिक भाषा की जानकार एवं गुरदीप की शिक्षिका मोनिका पुरोहित ने बताया कि गुरदीप सामने वाले व्यक्ति के हाथों और उंगलियों को दबाकर उससे संकेतों की भाषा में संवाद करती हैं जिसे 'टेक्टाइल साइन लैंग्वेज' कहा जाता है। सरकारी नौकरी पाने की खुशी से दमकती 34 वर्षीय गुरदीप ने अपने दोनों हाथ फैलाते हुए संकेतों की जुबान में कहा कि मैं बहुत ज्यादा खुश हूं। (भाषा)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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