जम्मू। कांग्रेस से अलग होकर एक अलग राजनीतिक दल बनाने का एलान करने वाले गुलाम नबी आजाद के जम्मू के दौरे के बाद प्रदेश में राजनीतिक दलों में अनुच्छेद 370 की वापसी और अनुच्छेद 371 के तहत विशेष अधिकार पाने की दौड़ आरंभ हो गई है। हालांकि इन सभी राजनीतिक दलों का एक समान लक्ष्य प्रदेश को राज्य का दर्जा वापस दिलावाना जरूर है।
उन्होंने 370 को लेकर कुछ नहीं बोला पर इतना जरूर था कि डोगरा स्वाभिमान संगठन के चेयरमेन और पूर्व सासंद व पूर्व मंत्री लाल सिंह जरूर अब अनुच्छेद 371 की बात करते हैं। उनका कहना है कि देश के 12 राज्य इस धारा के तहत विशेषाधिकार पा रहे हैं और जम्मू कश्मीर को भी राज्य का दर्जा देकर इस अनुच्छेद के तहत लाने की मांग करने वाले किसी भी राजनीतिक दल को वे बिना शर्त अपना समर्थन देने को तैयार हैं।
मुफ्ती और अब्दुल्ला चाहते हैं 370 की बहाली : वहीं, डॉ. फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कांफ्रेंस और महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी 370 की वापसी से कम कुछ भी लेने को तैयार नहीं हैं। वे इसकी खातिर आंदोलन को कई सालों तक चलाने के पक्ष में आवाल बुलंद करते हैं।
इतना जरूर है कि नेकां और पीडीपी में रहकर कई बार किस्मत आजमा चुके जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी इन दोनों दलों पर प्रदेश की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि 370 की वापसी कभी नहीं होगी। हालांकि वे खुद 371 को प्रदेश में लागू करने के प्रति अभी विचार करने को राजी नहीं हैं क्योंकि उनके मुताबिक उनका पहला मकसद प्रदेश को पुनः राज्य का दर्जा दिलवाना है और राजनीतिक शून्यता को भरना है। इसकी खातिर वे रविवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन भी सौंप चुके हैं।
यह सच है कि 370 को हटाए जाने और 5 अगस्त 2019 को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के तीन सालों के बाद अपने आपको ठगा हुआ महसूस करने वाली प्रदेश की जनता भी 371 के तहत विशेषाधिकार पाने की आस लगाए हुए है। अगर देखा जाए तो गुलाम नबी आजाद की हुंकार भी इसी ओर इशारा करती है, जिसके लागू होने पर प्रदेश में जमीन और नौकरियों पर सिर्फ जम्मू कश्मीर की जनता का ही अधिकार रहेगा।