दरअसल आज भी हमारे देश में हर साल डायरिया के कारण पांच वर्ष से कम उम्र के दो लाख 5 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत की मौत होती है। इसका मतलब यह हुआ कि हर घंटे 23 बच्चों की मौत। एसआरएस 2012-13 का यह आंकड़ा किसी भी बड़ी से बड़ी घटना में होने वाली मौतों से भी ज्यादा भयावह है, लेकिन चूंकि इन मौतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता इसलिए इस पर उतना ध्यान भी नहीं जाता।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन मौतों को बहुत छोटे-छोटे उपाय करके रोका जा सकता है। इनमें सबसे अहम भूमिका डायरिया के समय बच्चों को दिए जाने वाले ओआरएस घोल व जिंक की गोली की है। दस्त लगने की स्थिति में बच्चे को यदि 1 पैकेट ओआरएस 1 लीटर पानी में घोल के लगातार पिलाया जाता रहे और दस्त रुकने के बाद भी 14 दिन तक उसे जिंक की गोली दी जाए तो इस बीमारी को जानलेवा होने से रोका जा सकता है।
मध्यप्रदेश में यूनीसेफ की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. वंदना भाटिया के अनुसार आमतौर पर जब बच्चों को दस्त लगते हैं तो गलत धारणा के कारण उन्हें कुछ खाने पीने को नहीं दिया जाता। जबकि ऐसे समय में बच्चे को सामान्य आहार के साथ ही साफ पानी में ओआरएस का घोल और 14 दिन तक जिंक की गोली लगातार दी जानी चाहिए। इसी तरह डायरिया का शिकार हुए बच्चों के लिए मां का दूध बहुत बड़े उपचार का काम करता है। ऐसे बच्चों को स्तनपान कराते रहना चाहिए।
दस्त लगने पर यदि ओआरएस का घोल और जिंक की गोली लगातार दी जाए तो डायरिया के दौरान शरीर में पानी की कमी से होने वाली 93 प्रतिशत मौतों को और जिंक की गोली देने से 23 प्रतिशत मौतों को कम किया जा सकता है। जिक की गोली डायरिया की तीव्रता कम करती है, शिशु में रोग से लड़ने की ताकत बढ़ाती है और आंतों को राहत पहुंचाती है।