आयोग ने घटना पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह 'रक्षक के भक्षक' बनने का जीता-जागता उदाहरण है। यदि वाकई ऐसा हुआ है तो इससे कानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसियों में व्याप्त बुराइयों का साफ पता लगता है। इससे यह भी जाहिर होता है कि न्याय पाने के जनता के अधिकारों के प्रति उनमें सम्मान की कमी है।