मिर्जापुर। सोनभद्र में जमीनी विवाद से उपजी हिंसा में 10 आदिवासियों की मौत के बाद पीड़ित परिवारों के जख्मों पर मरहम लगाने जा रहीं पूर्वी उत्तरप्रदेश की कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा को जब वाराणसी और मिर्जापुर सीमा पर रोक दिया गया तो वे जमीन पर धरने के लिए बैठ गईं। उन्होंने देर रात साफ कहा कि यदि प्रदेश सरकार उन्हें जेल में भी डालना चाहे तो वे जाने को तैयार हैं लेकिन वे 50 हजार की जमानत नहीं लेंगी।
प्रियंका ने अपने सोशल मीडिया पर अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक के बाद एक ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश प्रशासन ने मुझे पिछले 9 घंटे से गिरफ्तार करके चुनार किले में रखा हुआ है। प्रशासन कह रहा है कि मुझे 50,000 की जमानत देनी है अन्यथा मुझे 14 दिन के लिए जेल की सजा दी जाएगी, मगर वे मुझे सोनभद्र नहीं जाने देंगे ऐसा उन्हें 'ऊपर से ऑर्डर है'।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार पीड़ितों से मिलने के अपराध के लिए मुझे जेल में डालना चाहें तो मैं इसके लिए पूरी तरह से तैयार हूं। मैं नरसंहार का दंश झेल रहे गरीब आदिवासियों से मिलने, उनकी व्यथा-कथा जानने आई हूं। जनता का सेवक होने के नाते यह मेरा धर्म है और नैतिक अधिकार भी। उनसे मिलने का मेरा निर्णय अडिग है।
प्रियंका के अनुसार मैंने न तो कोई कानून तोड़ा है और न ही कोई अपराध किया है, बल्कि सुबह से मैंने स्पष्ट किया था कि प्रशासन चाहे तो मैं अकेली उनके साथ पीड़ित परिवारों से मिलने आदिवासियों के गांव जाने को तैयार हूं या प्रशासन जिस तरीके से भी मुझे उनसे मिलाना चाहता है, मैं तैयार हूं। मगर इसके बावजूद उप्र सरकार ने यह तमाशा किया हुआ है।
उन्होंने कहा कि जनता सब देख रही है। मैं इस संदर्भ में जमानत को अनैतिक मानती हूं और इसे देने को तैयार नहीं हूं। मेरी साफ मांग है कि मुझे पीड़ित आदिवासियों से मिलने दिया जाए, सरकार को जो उचित लगे वह करे। उत्तरप्रदेश सरकार की ड्यूटी है अपराधियों को पकड़ना। मेरा कर्तव्य है अपराध से पीड़ित लोगों के पक्ष में खड़े होना। भाजपा अपराध रोकने में तो नाकामयाब है, मगर मुझे मेरा कर्तव्य करने से रोक रही है। मुझे पीड़ितों के समर्थन में खड़े होने से कोई रोक नहीं सकता। कृपया अपराध रोकिए!