इसके बाद उसका पिता उसे जिंद गांव दिल्ली ले गया। वहां भी उसके साथ दुष्कर्म किया। उसके मना करने पर उसका पिता उसकी मारपीट करता था। पीड़िता गर्भवती हो गई तब उसका पिता उसे फिर से उर्दमऊ ले आया और उसका गर्भ गिराने के लिए उसे दवा खिलाई, जिससे गर्भपात हुआ और एक बच्ची का जन्म हुआ। नवजात बच्ची को उसके पिता ने कपड़े में लपेटकर गांव के मटिया वाले तालाब में फेंककर मार डाला।
न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता तनूजा के साथ उसके पिता आरोपी ने क्रूरता पूर्ण, बर्बर, पाशविक, अतुलनात्मक रवैया अपनाकर जघन्य कृत्य किया है, जिससे पीडि़ता तनूजा को इस जघन्य घटना से गहरा मानसिक घाव पहुंचा है।
सत्र न्यायाधीश भारत भूषण श्रीवास्तव की अदालत ने आरोपी कलयुगी पिता को पीड़ित पुत्री तनूजा के साथ दुष्कर्म करने का दोषी करार दिया है। अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 376 में आरोपी के जीवन के अंतिम दिन तक की कठोर कैद की सजा दी। इसके साथ ही तनूजा का गर्भपात कराकर नवाजात शिशु की हत्या करने के अपराध में दोषी ठहराकर आईपीसी की धारा 302 में मृत्युदंड की सजा सुनाई।