मिली जानकारी के अनुसार श्रीवास्तव ने राज्य शासन को पत्र लिखकर उन्हे पिछली तारीखों से सचिव से प्रमुख सचिव की पदोन्नति देने की मांग की है। वह एक बार पहले भी इस तरह की मांग कर चुके हैं जिसे राज्य सरकार रद्द कर चुकी है, अब दुबारा उन्होंने इस तरह की मांग की है। राज्य में इस तरह का यह पहला मामला है जब किसी आईएएस अधिकारी ने सेवानिवृति के डेढ़ वर्ष बाद पदोन्नति मांगी है।
राज्य सरकार ने गत 31 अक्टूबर को उसी दिन सेवानिवृत हो रहे जल संसाधन विभाग के सचिव रहे गणेश शंकर मिश्रा को प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नति दी थी और महज कुछ घंटे ही वह इस पद पर रहे थे। उन्हें पदोन्नति देने के लिए 1993 एवं 1994 बैच के कई आईएएस अधिकारियों को लगभग 14 माह पूर्व ही सचिव से प्रमुख सचिव पर पदोन्नति देनी पड़ी थी। सरकार के इस निर्णय की काफी आलोचना हुई थी। इसी को आधार बनाकर फिर श्रीवास्तव ने आवेदन दिया है।
इस बारे में जानकारों का मानना है कि सरकार से कभी भी पदोन्नति मांगने का शासकीय सेवक को हक है अगर उसे लगता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है। सरकार को उस पर निर्णय लेना है, सरकार अगर उसे नकारती है तो उसे उच्च न्यायालय जाने का हक है। माना जा रहा है कि श्रीवास्तव सरकार के आवेदन रद्द करने पर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। यह आवेदन उन्हीं तैयारियों का हिस्सा है।
जानकारों के अनुसार श्रीवास्तव सेवानिवृति के बाद लगभग डेढ़ वर्षों से कहीं न कहीं समायोजन की राह जोह रहे हैं, कई पदों पर उन्हें समायोजित करने की चर्चा कई बार उठती रही है, लेकिन अभी तक उन्हें कामयाबी नही मिल पाई है। दरअसल राज्य में आईएएस अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें कहीं न कहीं समायोजित करने की परंपरा सी बन गई है, बहुत कम ही ऐसे हैं जिन्हें मौका नही मिल पाता। पदोन्नति मिलने से पेंशन आदि में काफी लाभ मिल सकता है। (वार्ता)