इस घटना की जानकारी मिलते ही कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा संचालित ट्रॉली मैनेजमेंट टीम ने तत्काल एक्शन लेते हुए रेस्क्यू कार्य शुरू कराया और सभी को सकुशल नीचे उतारा। ट्रॉली में छह विदेशी पर्यटक, छह स्कूली बच्चे और एक परिजन मौजूद थे। टीम ने एक-एक कर सभी सवारियों का लगभग 80 फुट की ऊंचाई से रस्सियों के सहारे इवेक्यूएट किया।
ये ट्रॉली इलेक्ट्रिक वायर केबल सिस्टम से चलती है और इसे ऑस्ट्रिया के वोइस्ट अल्पाइन (Voist Alpine, Austria) के साथ भारत सरकार की त्रिवेणी स्ट्रक्चरल लिमिटेड कंपनी के संयुक्त तत्वावधान में बनाया गया है। ये ट्रॉली दो किस्म के तारों के साथ बैरिंग और पुली सिस्टम पर है आधारित।
रोपवे की ट्रॉली का पूर्व में 15 अप्रैल 2013 को भी कंपोनेंट खराब हुआ था, जिसके कारण लोग फंस गए थे। इसके बाद मुंबई से आए 9 छात्र-छात्राओं को तो, दूसरी बार 9 जून को बिजली जाने और जेनरेटर खराब होने के कारण ट्रॉली हवा में रुक गई थी, जिसके बाद मुंबई, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पर्यटकों को सुरक्षित इवेक्युएट (रेस्क्यू) किया गया था।
रोपवे मैनेजर शिवम शर्मा ने बताया कि उनके कर्मचारियों ने कोई उपकरण टूटने की आवाज सुनी, जिसके बाद ट्रॉली को रोक दिया गया। आधे रास्ते में रुक गई ट्रॉली में सवार सभी यात्रियों का सफल इवेक्यूएशन कर लिया गया।
Edited By : Chetan Gour