बताया जा रहा है कि यह तहखाना नहीं दो सदी पुराना कोई मकान है। जो अब रेगिस्तान में दबा हुआ था। करीब 200 साल पहले इस इलाके में पालीवाल ब्राह्मणों के 84 गांव थे। इनमें करीब 5000 पालीवाल ब्राह्मण रहते थे। तत्कालीन जैसलमेर रियासत के दीवान सालिम सिंह के अत्याचारों की वजह से ये लोग गांव छोड़कर चले गए थे।