रूबीदेवी पति को खोने के दु:ख के बावजूद बड़े साहस और धैर्य का परिचय देते हुए 4 साल के मासूम बेटे और 4 माह की मासूम बेटी को संभालते हुए उनको फौज के लिए तैयार करने में लगी हुई हैं। रूबीदेवी पति की शहादत के बाद अपने पति की तरह ही घर के कामकाज, बच्चों की परवरिश और बूढ़े माता-पिता की देखभाल करने में लगी हुई हैं।
शहीद की पत्नी ने आतंकी हमले के बदले को लेकर कहा की सेना ने जो बदला लिया है, वह ठीक है लेकिन जब तक सारे आतंकवादी चुन-चुनकर नहीं मारे जाते, तब तक बदला पूरा नहीं होगा। हम चाहते हैं कि हम पर जो मुसीबत आई है, वो देश की रक्षा कर रहे दूसरे जवानों की पत्नियों पर न आए।
शहीद की पत्नी का सम्मान : महिला दिवस पर पहुंचीं जनपद की समाजसेविका कंचन मिश्रा ने शहीद की पत्नी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया और बताया की हमें शहीद की पत्नियों पर गर्व है और यह समाज के लिए एक मिसाल भी है। हमारे देश की ये वीरांगनाएं भी हैं, जो बड़े साहस के साथ आतंकियों से लड़ने और देश की रक्षा के लिए अपने पतियों को बॉर्डर पर भेज देती हैं।