पीठ ने कहा, 'प्रतिवादी (मणिका सरकार) याचिकाकर्ता (एसबीआई) की ग्राहक थी क्योंकि उसका याचिकाकर्ता के बैंक में संयुक्त खाता था जहां नियमित रूप से उसकी पेंशन जमा होती थी। याचिकाकर्ता सेवा प्रदाता है। याचिकाकर्ता बैंक ने उसका खाता फ्रीज कर दिया और अनुचित रूप से पेंशन की राशि देने से कर दिया जो सेवा में कमी का मामला है।
एक जिला फोरम ने 24 अप्रैल 2018 को अपने आदेश में कहा था कि पेंशन धारक की जीविका के लिए होती है जिसे कोई भी कुर्क या बंद नहीं कर सकता और उसने अधिकारियों को सरकार को पेंशन राशि निकालने देने के निर्देश दिए थे। एनसीडीआरसी ने बैंक की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कहा कि सरकार की पेंशन पर रोक लगाना बैंक का गलत कदम है । इससे बेटे की गलती की सजा उन्हें मिल रही है। (भाषा)