Nizampur of Barabanki district: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से केवल 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जनपद बाराबंकी के मुख्यालय से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है अहमदपुर गांव। इसी गांव में है मजरा निजामपुर। यहां स्कूल तो है, लेकिन शिक्षा का उजाला पूरी तरह नहीं पहुंच पाया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि बच्चे ने हाईस्कूल परीक्षा पास कर इतिहास तो रचा, लेकिन आजाद भारत के इस गांव को यह उपलब्धि हासिल करने में 75 साल लग गए।
निजामपुर का नौनिहाल रामकेवल : बाराबंकी जिले के अहमदपुर गांव का एक छोटा सा मजरा निजामपुर है। 25 घरों वाले इस मजरे की आबादी डेढ़ सौ के करीब है। यहां रहने वाले सभी लोग दलित बिरादरी के हैं। एक तरफ देश आजाद होने के बाद कहां से कहां पहुंच गया, वहीं इस गांव क़ी स्थित यह है कि आजादी के बाद से पहली बार किसी ने दसवीं पास की है। दलितों का गांव कहे जाने वाले इस गांव में बिजली तो है, लेकिन गांव के अंदर आने-जाने के लिए खड़ंजा तक नहीं है। गांव में परिषदीय स्कूल है।
आजादी के वक्त से ही यहां स्कूल था, लेकिन गरीबी के चलते इस मजरे के लोग पढ़ ही नहीं सके। गांव में चार-पांच लोग हैं, जो महज छठी या 8वीं तक ही पढ़ सके। कोई भी ऐसा नहीं था जो हाईस्कूल तक पढ़ा हो। पहली बार यहां के एक किशोर रामकेवल ने हाईस्कूल करने की ठानी और तमाम मुश्किलों से लड़ते हुए परीक्षा पास कर गांव में एक नया इतिहास बनाने का काम किया।
कम नहीं थी मुश्किलें : जगदीश रावत के घर जन्मे रामकेवल इस गांव के पहले शख्स हैं, जिन्होंने 75 सालों के बाद पहली बार हाईस्कूल पास कर मिसाल कायम की है। रामकेवल के पिता जगदीश मेहनत मजदूरी करते हैं और मां पुष्पा देवी पास के ही प्राथमिक विद्यालय अहमदपुर प्रथम में रसोइया का काम करती हैं। रामकेवल के तीन भाई और दो बहनें हैं। बड़ी बहन की शादी हो गई है, बाकी के सभी पढ़ाई कर रहे हैं। एक भाई 9वीं कक्षा में तो दूसरा भाई 5वीं में पढ़ रहा है, जबकि सबसे छोटी बहन पहली कक्षा में पढ़ रही है।
गांव के प्राइमरी स्कूल में 5वीं तक पढ़ाई के बाद पास के दूसरे पुरवे से कक्षा 8वीं पास की। फिर अहमदपुर राजकीय इंटर कॉलेज से इस वर्ष 53 फीसदी नम्बरों के साथ हाईस्कूल पास कर लिया। यहां तक पहुंचने में रामकेवल को खासी मशक्कत करनी पड़ी। पिता के साथ मजदूरी की, बाराबंकी शहर जाकर शादी-ब्याह में सिर पर लाइटों को ढोया, लेकिन हाईस्कूल करने की ठान रखी थी लिहाजा हौसला नही खोया।
बिजली है पर कनेक्शन नहीं : घर के बाहर बिजली का पोल है, लेकिन बिल अदा कर पाने में अक्षम रामकेवल के परिवार की घर मे बिजली कनेक्शन लेने की हिम्मत नही हुई। रामकेवल के माता-पिता अनपढ़ हैं, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कोर-कसर नही छोड़ी। गांव के ननकू ही एक अकेले थे, जिन्होंने कक्षा 8वीं पास की, लेकिन अब रामकेवल ने कक्षा 10वीं पास कर ली है। अब गांव में शिक्षा की नई रोशनी आ गई है। रामकेवल की कामयाबी से पूरे गांव में उत्साह है। उसके साथियों में भी अब आगे तक पढ़ने के लिए नए जोश का संचार हुआ है।