बच्‍चों को गर्म सरिए से दागकर सर्दी-जुकाम का इलाज!

शनिवार, 29 नवंबर 2014 (18:37 IST)
कोरबा। बीमारियों के इलाज के मामले में आज भी लोगों पर अंधविश्‍वास किस कदर हावी है इसकी बानगी कोरबा में दिखती है। करतला थाना क्षेत्र में पिछले 100 साल से बच्‍चों को बीमारियों से मुक्त करने के लिए गर्म सरिए से दागने का चलन है।
 
जिला मुख्यालय कोरबा से 25 किलोमीटर दूर उरगा-करतला मार्ग से सटे गांव टेंपा भाठा, दादरकलां, ढेलवाडीह में यह रोंगटे खड़े कर देने वाला दस्तूर जिला प्रशासन के नाक के नीचे बेरोकटोक जारी है। इन गांवों में गोंड़, कंवर और मन्नेवार आदिवासी समाज की बहुलता है। ग्रामीणों के मुताबिक उनके इलाके में यह प्रथा करीब छह पीढ़ी से निरंतर चली आ रही है और उनको इनसे कोई आपत्ती नहीं है।
उनका कहना है कि यहां बच्चों को बीमार पड़ने पर बजाय डॉक्टर के बैगा के पास ले जाना बेहतर समझा जाता है। ऐसा माना जाता है कि नवजातों को गर्म सरिए से दागने के बाद उन पर जादू-टोने या किसी काली साया का प्रभाव नहीं पड़ता न ही उन्हें सर्दी जुकाम अपने गिरफ्त में लेता है। ऐसा नहीं है कि इस गांव में पढ़े-लिखे आदिवासी नौजवानों और नवयुवतियों की कमी है, उसके बाद भी बच्चा पैदा होने के बाद वे नवजात को बैगा के पास ले जाते हैं, जहां वह तमाम तरह के कर्मकांड और मंत्रोच्चारण के बाद बच्चे को गर्म सरिए से दाग देता है।
 
बैगा आनंद कुमार मन्नेवार ने बताया कि यह कार्य वह लंबे समय से करते आ रहा और उसके बाबा परदादाओं के बाद यह तीसरी पीढ़ी जिसने इसको अपनाया है। अभी तक किसी ने किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं की लोग खुद ही अपने बच्चों को लेकर उसके पास आते हैं।
 
इन गांवों के करीब 90 फीसदी से भी ज्यादा नौजवानों और मर्दों के पेट पर नाभी के पास चमड़े के चलने और दागने का निशान मिल जाते हैं। अब लोगों के बीच यह फैशन की तरह लोकप्रिय होने लगा है। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो मजबूरी के रूप में इसे आजमाते हैं।
 
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लक्ष्मीबाई का मानना है ऐसा करने से काली छाया से मुक्ति मिल जाती है। दूसरी बात यह प्रचलन अब आस्था का प्रतीक बन चुका है इसलिए जो महिलाएं अपने बच्चों के साथ ऐसा नहीं भी करना चाहती उन्हें ऐसा करना पड़ता है।
 
अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के डॉ. दिनेश मिश्र के मुताबिक श्रद्धा तक बात समझ में आती है अंधश्रद्धा पागलपन है, वैसे सरिए से दागने से न भूत भागते हैं न ही सर्दी जुकाम ठीक होता है, इसलिए मैं कई बार कह चुका हूं राज्य में इसके खिलाफ अभियान चलाना होगा।
 
सामाजिक संस्था ऑक्सफैम की कार्यकर्ता अनु वर्मा का मानना है यह घोर अंधविश्वास है यह बच्चों के मानवधिकारों का उल्लंघन है इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। करताला पुलिस थाने के टीआई ने कहा अभी तक इस संबंध में उसके पास किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं आई है इसलिए कार्रवाई करना मुश्किल है। (news18.com से)

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