लेकिन कुछ सेवायतों ने इस व्यवस्था पर आपत्ति उठाई तो वह व्यवस्था भी नियमित न हो सकी। तब प्रबंधन समिति ने सभी गोस्वामियों से अपील कर हल निकालने की गुहार लगाई। डुगडुगी बजवाई, मंदिर में नोटिस लगाया और अखबारों में विज्ञापन तक दिया।
उपमन्यु ने बताया कि इसके बाद भी मंदिर के 345 सेवायतों में से कोई भी सदस्य यह परंपरा निभाने की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हुआ है। इसलिए अब कमेटी ने यह निर्णय लिया है कि पहले उन सदस्यों से आग्रह किया जाएगा, जिन्होंने सारस्वत कुलीन ब्राह्मण से भोग तैयार कराने की व्यवस्था प्रारंभ करने का विरोध किया था।