विक्रमादित्य सिंह ने वापस लिया इस्तीफा, बोले- हिमाचल सरकार पर कोई संकट नहीं

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 28 फ़रवरी 2024 (23:15 IST)
Himachal Pradesh News : कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में अपने 6 विधायकों के क्रॉस वोटिंग के बाद राज्य सरकार पर मंडराए खतरे को टालने के लिए बुधवार को कवायद शुरू की और पार्टी आलाकमान द्वारा भेजे गए तीन पर्यवेक्षकों ने शिमला में बैठकों का सिलसिला आरंभ किया। बुधवार देर शाम लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ने सुखविंदर सिंह सुक्खू मंत्रिमंडल (Sukhvinder Singh Sukhu Cabinet) से इस्तीफा वापस ले लिया। 
 
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने की पेशकश करके पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा दीं। वहीं दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा के 15 विधायकों को निलंबित कर दिया।
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हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने सुबह कहा कि वह मंत्रिपरिषद से अपना इस्तीफा सौंप रहे हैं, लेकिन कुछ घंटे बाद उन्होंने अपना रुख नरम कर लिया।
 
पार्टी द्वारा शिमला भेजे गए केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ बैठक के बाद, सिंह ने इस्तीफे के उनके "प्रस्ताव" को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा "अस्वीकार" करने का उल्लेख किया और पार्टी में एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके मद्देनजर, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, वह अब इस्तीफे पर ‘‘जोर’’ नहीं दे रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य सरकार कभी संकट में नहीं थी।
 
यह संकट हिमाचल प्रदेश की एकमात्र सीट के लिए मंगलवार को हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग से उत्पन्न हुआ।
 
कांग्रेस पार्टी ने अब इन विधायकों को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की मांग की है और इस मामले की सुनवाई विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने की और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
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निलंबित भाजपा विधायकों में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर भी शामिल हैं। इन निलंबित विधायकों ने शुरू में सदन से जाने से इनकार कर दिया और उनके इस कदम का परोक्ष तौर पर विधानसभा में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के बजट को ध्वनि मत से पारित करने से रोकने के प्रयास के तौर पर देखा गया।
 
भाजपा बजट पर मत विभाजन चाहती थी क्योंकि पार्टी को लगा कि इससे यह बात सामने आ जाएगी कि कांग्रेस ने राज्य विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया है।
 
हालांकि अपराह्न में, संकट कुछ समय के लिए टल गया क्योंकि सदन ने वित्त विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया, जब भारतीय जनता पार्टी का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। इसके बाद विधानसभाध्यक्ष ने सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
 
मुख्यमंत्री सुक्खू ने उन अटकलों को खारिज कर दिया कि वह इस्तीफा दे रहे हैं। सुक्खू ने से कहा कि न तो आलाकमान और न ही किसी और ने मुझसे इस्तीफा मांगा है।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार राज्य में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।
 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी को भाजपा के हर्ष महाजन ने मंगलवार को राज्यसभा चुनाव में ड्रॉ के जरिए हरा दिया। राज्य से राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए हुए चुनावों में इन दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले थे। इसके बाद चुनाव का विजेता ड्रॉ के जरिये घोषित किया गया।
 
इस परिणाम का मतलब यह था कि 14 महीने पहले विधानसभा में 40 सीटें जीतकर राज्य की सत्ता में आयी कांग्रेस राज्यसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार को आसानी से जीत के लिए जरूरी मत नहीं दिला सकी।
 
बजट अभी पारित होना बाकी था और विपक्षी भाजपा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की आशंका मंडरा रही थी।
 
भाजपा ने 2022 में 68 सीटों वाले सदन में 25 सीटें जीती थीं। तीन निर्दलीय विधायक हैं, और क्रॉस-वोटिंग संकट उत्पन्न होने से पहले तक यह माना जाता था कि वे सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ थे।
 
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर बुधवार सुबह करीब 7.30 बजे एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राजभवन गए और राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से यह सुनिश्चित करने को कहा कि वित्त विधेयक केवल मतविभाजन के माध्यम से पारित किया जाए।
 
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले पार्टी शासित राज्य में संभावित नुकसान को रोकने के लिए दिल्ली से कवायद शुरू की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तीन पर्यवेक्षकों - भूपेश बघेल, भूपिंदर सिंह हुड्डा और डी के शिवकुमार - को शिमला भेजा और पार्टी ने संकेत दिया कि वह कुछ "कड़े कदम" उठा सकती है। शाम को पर्यवेक्षकों ने पार्टी विधायकों के साथ बातचीत शुरू की।
 
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि खरगे ने पर्यवेक्षकों और राज्य के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला से असंतुष्ट विधायकों सहित सभी विधायकों से बात करने और जल्द ही एक व्यापक रिपोर्ट उन्हें सौंपने को कहा है।
 
रमेश ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, "कांग्रेस कुछ सख्त कदम उठाने से नहीं हिचकिचाएगी क्योंकि पार्टी हमारी प्राथमिकता है और वह हिमाचल प्रदेश के लोगों के जनादेश के साथ विश्वासघात नहीं होने देगी।"
 
इससे पहले सुबह, हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने घोषणा की कि वह मंत्रिपरिषद छोड़ रहे हैं और अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री और राज्यपाल को सौंपेंगे।
 
सिंह की मां प्रतिभा सिंह हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष हैं। विक्रमादित्य सिंह ने कहा, 'मुझे अपमानित और कमजोर करने की कोशिश की गई लेकिन आपत्तियों के बावजूद मैंने सरकार का समर्थन किया।'
 
वह हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। वीरभद्र सिंह का 2021 में निधन हो गया था।
 
परिवार पहले भी संकेत दे चुका है कि पार्टी ने वीरभद्र सिंह की विरासत का सम्मान नहीं किया है। प्रतिभा सिंह ने सुक्खू के राज्य चलाने के तरीके पर भी असंतोष जताया है।
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कुछ घंटे बाद, केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ बैठक और मुख्यमंत्री द्वारा उनके प्रस्ताव को "अस्वीकार" करने के बाद, मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह इस पर जोर नहीं देंगे।
 
विक्रमादित्य सिंह ने दिन में कहा था, "कांग्रेस पार्टी ने लोगों से वादे किए थे और उन वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी है और मैं अपने समर्थकों से सलाह लेने के बाद अपनी भविष्य की रणनीति तय करूंगा।"
 
सुबह में विधानसभा की कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कथित तौर पर अध्यक्ष का अनादर करने के लिए भाजपा विधायकों को निलंबित करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया और विधानसभा अध्यक्ष ने 15 विधायकों को निलंबित कर दिया।
 
हालांकि, भाजपा सदस्यों ने सदन से जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद विधानसभाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
 
ठाकुर के अलावा निलंबित विधायकों में विपिन परमार, विनोद कुमार, हंस राज, जनक राज, बलबीर वर्मा, त्रिलोक जम्वाल, दीप राज, सुरिंदर शौरी, पूरन ठाकुर, इंदर सिंह गांधी, दिलीप ठाकुर, रणधीर शर्मा, लोकेंद्र कुमार और रणवीर सिंह शामिल हैं।
 
ठाकुर ने पहले संवाददाताओं से कहा था, 'हमें आशंका है कि विधानसभाध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया भाजपा विधायकों को निलंबित कर सकते हैं ताकि बजट को विधानसभा में पारित कराया जा सके।'
 
उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव से यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस सरकार अल्पमत में है और उन्होंने मुख्यमंत्री सुक्खू के इस्तीफे की मांग की।
 
कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ मतदान करने के बाद मंगलवार रात भाजपा शासित हरियाणा के पंचकूला में एक गेस्टहाउस में बिताने वाले कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों का एक समूह भी सदन में वापस आ गया। उन्हें हेलीकॉप्टर से वापस लाया गया।
 
ये विधायक जैसे ही सदन में दाखिल हुए, भाजपा सदस्यों ने मेजें थपथपाकर उनका स्वागत किया। उन्होंने भी 'जय श्री राम, बन गया काम' का नारा लगाया। बाद में दिन में, उनके फिर से पंचकूला के लिए रवाना होने की सूचना मिली।
 
मंगलवार को सुक्खू ने दावा किया था कि विधायकों को हरियाणा पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने 'अगवा' कर लिया है। एजेंसियां

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