जम्मू कश्मीर में हिंसा में आई तेजी, पौने 4 महीनों में 13 आम नागरिक और 14 सुरक्षाकर्मी शहीद

सुरेश एस डुग्गर
रविवार, 24 अप्रैल 2022 (13:19 IST)
जम्मू। पिछले पौने 4 महीनों से कश्मीर में हिंसा में तेजी आई है। आंकड़ों पर एक नजर दौड़ाएं तो इस अवधि के भीतर आतंकी करीब 6 दर्जन हमलों को अंजाम दे चुके हैं। करीब 13 लोगों को भी मौत के घाट उतारा जा चुका है तथा 32 हथगोलों के हमले भी हो चुके हैं। इस दौरान 14 सुरक्षाकर्मी शहीद हो चुके हैं। अधिकतर हमले, हत्याएं दक्षिण कश्मीर में हुई हैं। दक्षिण कश्मीर में ही अमरनाथ यात्रा होती है और अभी तक मारे गए 64 आतंकियों में से आधे से अधिक दक्षिण कश्मीर में ही मारे गए हैं।

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दरअसल, भीषण गर्मी के कारण इस बार एलओसी पर बर्फ के तेजी से पिघलने के कारण घुसपैठ का खतरा भयानक रूप से मंडराने लगा है। अधिकारियों ने इसे माना है कि कश्मीर के कई सेक्टरों से कई दर्जन आतंकी पिछले दिनों घुसने में कामयाब रहे थे और उनके खात्मे के लिए सेना बहुत बड़े अभियान को भी छेड़ चुकी है। हालांकि कश्मीर की घुसपैठ के बाद आरंभ हुई सैनिक कार्रवाई की सच्चाई यह है कि सेना अभी तक इन आतंकियों को खोज नहीं पाई है।
 
रक्षाधिकारियों के बकौल ऐसी की घटना पुन: न हो, इसके लिए पूरी बर्फ के पिघलने से पहले ही पारंपरिक घुसपैठ के रास्तों पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात कर देना जरूरी है। कितने अतिरिक्त सैनिकों को एलओसी और बॉर्डर पर भेजा गया है, कोई आंकड़ा सरकारी तौर पर मुहैया नहीं करवाया गया है, पर सूत्र कहते हैं कि ये संख्या हजारों में है।

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आतंकी हमलों में तेजी ऐसे समय में आई है जबकि प्रशासन अमरनाथ यात्रा की तैयारियों में जुटा हुआ है। अभी तक प्रदेश में शांति के लौटने के दावे करने वाला प्रशासन अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के प्रति बेफिक्र था लेकिन आतंकी हमलों में आई अचानक और जबर्दस्त तेजी ने उसके पांव तले से जमीन खिसका दी है। नतीजतन केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी प्रदेश प्रशासन की मदद को आगे आना पड़ा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के कई अधिकारी पिछले कई दिनों से प्रदेश में डेरा डाले हुए हैं और उनके द्वारा कई सूचनाओं को कश्मीर पुलिस के साथ साझा करने के बाद यात्रियों की सुरक्षा की खातिर थ्री टियर सुरक्षा व्यवस्था पर मंथन शुरू किया गया है।

सुंजवां मामले को लेकर पुलिस और बीएसएफ में आरोप-प्रत्यारोप : सुंजवां में जैशे मुहम्मद के जिन 2 आतंकियों को मार गिराया था वे कहां से टपके थे, फिलहाल अभी तक कोई ठोस जानकारी इसलिए नहीं मिल पाई है, क्योंकि इस मुद्दे पर बीएसएफ और पुलिस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो चुका है।
 
कल शनिवार को जारी मुठभेड़ के बीच ही पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने दावा कर दिया था कि आतंकी जम्मू सीमा के सांबा सेक्टर से हाल ही में 40 किमी का सफर तय करके सुंजवां पहुंचे थे जबकि अपने दावों के दौरान वे इस तथ्य को नजरअंदाज करते थे कि इस 40 किमी के यात्रा मार्ग में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के 3 दर्जन से ज्यादा नाके थे और वे इन नाकों को कैसे पार कर गए।
 
पुलिस का कहना है कि आतंकी सांबा के इंटरनेशनल बॉर्डर से घुसपैठ कर इस ओर आए थे, पर बीएसएफ इसे नहीं मानती। वह कहती है कि कहीं से कोई तारबंदी नहीं कटी है और सांबा सेक्टर में नदी-नालों में कहीं भी उनकी थर्मल इमेजस रिकॉर्ड नहीं की गई हैं।
 
पहले यह भी आशंका व्यक्त की जा रही थी कि आतंकी सीमा क्षेत्र में उपस्थित किसी सुरंग से इस ओर आने में कामयाब हुए हैं जैसा कि पहले अतीत में कई बार हो चुका था। पर क्षेत्र की गहन पड़ताल के बाद भी बीएसएफ ऐसी किसी सुरंग का पता नहीं लगा पाई है। हालांकि पिछले 3 सालों में ऐसी 12 सुरंगों को नेस्तनाबूद किया गया था। 
ऐसे में यह सवाल और पेचीदा हो जाता था कि ये आतंकी कहां से और कब हिन्दुस्तान में दाखिल हुए थे? वर्ष 2016 में नगरोटा में हुए आतंकी हमले और वर्ष 2018 में जम्मू के सुंजवां में हुए एक अन्य आतंकी हमले में शामिल आतंकियों के प्रति भी अभी तक जो जानकारी उपलब्ध हुई है, वह भी सिर्फ अंदाजे पर ही है। इतना जरूर था कि पठानकोट-जम्मू तथा जम्मू-उधमपुर राजमार्ग पर होने वाले प्रत्येक आतंकी हमले के उपरांत बीएसएफ और पुलिस के बीच ठनती रही है और बीएसएफ ने कभी भी इसे स्वीकार नहीं किया है कि आतंकी तारबंदी को क्रॉस कर इस ओर दाखिल हुए हैं।
 
यही नहीं, वर्ष 2020 में भी 2 बार जैश के 7 आतंकियों को वन टोल प्लाजा पर ढेर कर दिया गया था। तब भी प्रत्येक घटना के बाद पुलिस महानिदेशक ने दावा किया था कि वे जम्मू फ्रंटियर के सेक्टरों से घुसे थे और उन्होंने कई किमी का सफर बेरोकटोक किया था। इस सच्चाई के बावजूद कि उन्होंने 88 किमी के सफर में 42 नाकों को पार किया था जबकि 19 नवंबर 2020 को हुए हमले के शामिल आतंकियों को कश्मीर ले जा रहे ट्रक चालक ने यह बयान देकर पुलिस के ही दावों पर शंका पैदा कर दी थी जिसमें उसका कहना था कि उसने इन आतंकियों को सांबा में चीची माता के बाहर से राजमार्ग से बिठाया था और यह पिकअप प्वॉइंट हीरानगर से 20 किमी की दूरी पर था।(फ़ाइल चित्र)

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