आगामी दिनों में वेस्ट यूपी और एनसीआर में पानी का संकट गहराने वाला है, क्योंकि सिंचाई विभाग ने नहरों की सफाई और सिल्ट निकालने का सर्कुलर जारी कर दिया है। हरिद्वार गंगा से पश्चिमी उत्तर और साउथ दिल्ली को मिलने वाला गंगाजल 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक बंद रहेगा। जिसके चलते पीने के पानी का संकट कई जिलों में गहरा जाएगा।
गंगनहर से एक महीने पानी की सप्लाई बंद होने के कारण किसानों को भी दिक्कत होगी, क्योंकि उनके सामने फसलों की सिंचाई के लिए पानी की समस्या आएगी। हालांकि सिंचाई विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि ट्यूबवेल और टैंकरों के जरिए पानी की सप्लाई की जाएगी। यदि ऐसा होता भी है तो शहरों में बड़ी संख्या में पीने के पानी की दिक्कत होगी। ऐसे में मिनरल वाटर की मांग बढ़ जाएगी।
मुख्य नहर के साथ रजवाहों, माइनरों और हरिद्वार में हर की पैड़ी की भी सफाई होगी। गंगनहर की सफाई के चलते पानी का संकट बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, प्रताप विहार, ट्रांसहिंडन, डेल्टा कॉलोनी, नोएडा, साहिबाबाद, वैशाली, वसुंधरा, इंदिरापुरम, कौशांबी, सूर्यनगर, बृज विहार, रामप्रस्थ, चंद्रनगर, रामपुरी इलाके में रहने वाली जनता को झेलना पड़ेगा। इन दिनों हिंदुओं के दशहरा, दीपावली पर्व भी हैं, ऐसे में पानी की समस्या त्योहारों की रौनक को फीका कर देंगी।
नहर से सीधे पेयजल आपूर्ति बंद होने के कारण नगर निगम के नलकूपों व विकास प्राधिकरण के पंप से कॉलोनियों में पानी की सप्लाई होगी। पंप से सप्लाई के कारण पानी का प्रेशर कम रहेगा। एनसीआर में तो बहुमंजिला इमारतों में बड़ी तादाद में लोग रहते हैं, इस बड़ी आबादी का हिस्सा कामकाजी है, महिलाएं भी घर से बाहर नौकरी करती हैं, ऐसे में उनको पानी की दिक्कत ज्यादा झेलनी पड़ेगी।
सिंचाई विभाग मेरठ-गाजियाबाद के एक्सईएन के मुताबिक गाजियाबाद, बागपत दो जिलों में करीब 350 किलोमीटर लंबी नहरों की सफाई होनी है। इस सफाई को करने के लिए 20 दिन का लक्ष्य रखा गया है। 12 अक्टूबर में नहरों से सिल्ट निकालने के टेंडर फाइनल होंगे और 15 अक्टूबर से सफाई शुरू होगी।
बागपत के एक्सईएन के मुताबिक बागपत में करीब 200 किलोमीटर लंबी सहायक नहरों की सफाई होनी है। यहां कोई भी मुख्य नहर नहीं है। मेरठ, गाजियाबाद और बुलंदशहर से सीधे मुख्य गंगनहर बह रही है, जो हरिद्वार से निकलती है। इसी कड़ी में बुलंदशहर में निकलने वाली 300 किलोमीटर लंबी नहरों में सिल्ट की सफाई की जाएगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश गन्ना बेल्ट है, गन्ने की फसल को अधिक मात्रा में पानी की जरूरत होती है, ऐसे में सिंचाई के लिए नहरों का सहारा लेना पड़ता है। यदि गन्ने की फसल को उचित मात्रा में जल न मिले तो उसकी पैदावार पर असर पड़ेगा, वह थोड़ा सूख भी सकती है। धान की फसल को भी एक महीने में दो बार पानी की आवश्यकता पड़ती है।
बात करें फल-सब्जियों और फूल की तो, इन्हें भी हफ्ते में दो बार पानी की आवश्यकता पड़ती है। इन दिनों सब्जियों के राजा आलू की बुआई शुरू हो गई है, आगामी दिनों में आलू के बीज तीव्र गति से खेतों में रोपें जाएंगे। पानी की समस्या के चलते इस बार अगेंती गेहूं, गन्ना, सरसों व आलू की बुवाई विलंब से हो पाएगी।
विगत वर्षों में देखने को मिला है, जहां भी गंगनहर की सफाई की जाती है, वहां रेत खनन माफियाओं की चांदी हो जाती है। नहर लगभग सूखी होने पर खनन करना आसान हो जाता है। ऐसे में खनन माफियाओं की निगरानी के लिए सिंचाई विभाग ड्रोन कैमरे से नजर रखेगा।