चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिसबलों के करीब 75,000 जवानों वाली लगभग 700 कंपनियों ने अपना कार्यभार संभाल लिया है। निर्देशों के मुताबिक मतदाताओं में विश्वास पैदा करने के लिए वे अपने इलाके में मार्च निकाल रहे हैं।
स्थानीय भाषा या भौगोलिक स्थिति से अनभिज्ञ इन 75,000 अर्द्धसैनिक बल के जवानों की सहायता के लिए 25,000 राज्य पुलिस बल के जवानों को मुस्तैद किया गया है। सभी मतदान परिसरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय बलों के कंधों पर होगी जबकि स्थानीय भाषा को समझने वाले लाठी से लैस राज्य पुलिस बल के जवान कतार प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य पुलिस को मतदान केंद्र के भीतर गंभीर स्थितियों में तभी प्रवेश दिया जाएगा, जब पीठासीन अधिकारी ऐसा चाहेंगे। इसी तरह केंद्रीय बलों के हरेक मोबाइल यूनिट की मदद के लिए राज्य पुलिस के एक जवान की भी सहायता ली जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि असम में मतदान समाप्त होने के कारण वहां तैनात सुरक्षा बलों के अब पश्चिम बंगाल आ जाने के चलते बलों की संख्या में बढ़ोतरी संभव हुई है। अर्द्धसैनिक बलों की बढ़ोतरी को देखते हुए वाहनों पर साफ शब्दों में सेन्ट्रल फोर्सेस लिखा गया है। इसके अलावा उनके वाहनों में हूटर या सायरन भी लगाया गया है। (भाषा)