मुझे आज भी याद है, नेशनल के सिलेक्शन का दिन था...मेरे स्केट्स आपने डिजाइन किए थे। दौड़ कि शुरुआत में ही मुझे किसी ने धक्का दे दिया था। मेरा पूरा आत्मविश्वास उस समय हिल गया था। फिर पीछे से आप जोर से चिल्लाए और मैं उठ के दौड़ी। मेरा सिलेक्शन भी हुआ...एक बार नहीं, दो बार नेशनल ओपन किए। पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी एक पहचान बनाई, क्योंकि आपका और मम्मी का साथ हमेशा था। आज कल की पीढ़ी को किताबों और मोबाइल फोन में घुसा हुआ देख अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली मानती हूं, कि मेरे जीवन में आप लोगों ने पढ़ाई और खेल दोनों को बराबर महत्व दिया।