सभी माता-पिता अपने बच्चों के लिए कुछ न कुछ नियम कानून बनाते है और वो ये चाहते हैं कि उनके बच्चे उनके बनाए हुए नियमों का पालन करें लेकिन जब उनका बच्चा उनके द्वारा बनाए हुए नियमों का पालन नहीं करता है तो उस स्थिति में पैरेंट्स चिड़चिड़े हो जाते हैं और अपनी नेगेटिव भावनाओं को अपने बच्चों पर निकल देते हैं।
कभी-कभी माता-पिता अपनी पर्सनल परेशनियों के कारण अपना गुस्सा अपने बच्चों पर उतार देते हैं। उनकी ये नेगेटिव हरकत बच्चों की मेंटल और इमोशनल डेवलपमेंट को ख़राब कर सकती है। बात-बात पर आंख दिखाने और डांटने से आपके बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं। अगर आप भी अपने बच्चों को बात-बात पर डाटते हैं तो जान लें ये बातें।
बात-बात पर डांटना और पीटना-
अगर आप अपने बच्चों को बात-बात पर आंख दिखाते है या डांटते हैं। तो आपके बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और कुछ टाइम बाद आपकी बातों को इग्नोर करने लग जाते हैं क्योंकि आपका बात-बात पर उन्हें प्यार से समझाने की जगह डांटने या पीटने लग जाना उनमें एक डर का भावना पैदा करता है और वो डर-डर के जीने लगते हैं जिससे उनकी मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है और वो कोई भी डिसीजन खुद से नहीं ले पाते हैं।
आपके गुस्से का बच्चों पर क्या होता है असर-
पैरेंट्स के नेगेटिव व्यवहार की वजह से बच्चों में हीनता और असुरक्षा की भावना आ सकती है। आपके इस नेगेटिव व्यवहार की वजह से ऐसा हो सकता है कि आपका बच्चा आत्मनिर्भर ना बन पाए और सही तरीके से चीजों को हैंडल ना कर पाए क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति डगमगा चुकी हो। जिसकी वजह से बच्चे को अनिद्रा और एंजाइटी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
किसी भी बात पर अड़ जाना-
कभी-कभी ऐसा होता है कि पैरेंट्स अपनी एक ही बात पर अड़ जाते हैं। जिससे बच्चों में आक्रोश पैदा हो जाता है और वो कुछ ऐसी चीजें कर बैठते हैं जिसकी कोई उम्मीद नहीं होती है। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब भी आप कुछ काम अपने बच्चों को करने के लिए कहते हैं तो उन्हें उस काम को करने के लिए थोड़ा समय दें।