पिसनहारी तीर्थ पर 52 जिनालयों में अभिषेक

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जबलपुर के पिसनहारी तीर्थ स्थित नंदीश्वर दीप में पीत वस्त्र धारण किए सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने मुनिश्री पुंगव सुधा सागरजी महाराज के सान्निध्य में 7008 कलशों से नंदीश्वर दीप के 52 जिनालय में स्थापित 108 मूर्तियों का श्रद्धा के साथ अभिषेक किया गया।

इस अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा कि धर्म की कोई भी क्रिया महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि उसमें जो त्याग और समर्पण होता है वही आवश्यक है।

इसी से अतिशय और चमत्कार होता है। हम जो छोटी सी क्रिया नहीं कर पाते वह पूजन क्रिया पुरुषार्थ से होती है। किसी भी मंगल दिन की शुरुआत धर्म कार्यों से करना चाहिए। उसी से आगे के कार्य धर्ममय हो जाते हैं।

जिसका पहला दिन अच्छा होता है उसका 2012 भी अच्छा होगा। महाराजश्री ने आगे कहा कि यह जो पानी बरसा है वह भारत भूमि के लिए अमृत है। 2012 की शुरुआत तो मेघों ने गर्जना कर की है। यह देश के लिए मांगलिक है।

मुनिश्री ने कहा कि विद्यासागरजी महाराज के दीक्षा दिवस पर भी ऐसी ही वर्षा आषाढ़ मास में हुई थी। जब लोग गर्मी से त्रस्त थे। तब उनके गुरु ज्ञान सागरजी महाराज ने कहा था कि ऐसी ही शीतलता विद्यासागर भी देंगे। आचार्य विद्यासागर महाराज श्रमण संस्कृति के श्रेष्ठ और ज्येष्ठ स्वरूप में सामने आए हैं।

मुनियों की चर्या को देखकर तो पहले यहां के लोग दूर भागते थे लेकिन आचार्यश्री चर्या को देखकर ऐसे लोग भी नतमस्तक हो गए। उन्होंने कहा कि आज श्रमण संस्कृति का किसी ने झंडा उठाया है तो वह है श्री विद्यासागरजी महाराज।

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