जबलपुर के रांझी स्थित जैन धर्मशाला में चातुर्मास कर रहीं जैन साध्वी आर्यिका 105 आदर्शमति माता की संघस्थ ब्रह्मचारिणी मनीषा दीदी ने संल्लेखना के दौरान मंगलवार को अंतिम सांस ली। यह खबर सुनते ही हजारों श्रद्धालु उनके दर्शन करने उमड़ पड़े।
लाइलाज कैंसर की बीमारी से पीड़ित मनीषा दीदी का जन्म अनंतपुरा रहली सागर में वर्ष 1975 में हुआ था। आपने आचार्य विद्यासागर महाराज से 1993 में बीनाबारह सागर में व्रत लिया था। मनीषा दीदी 14 वर्षों से मधुमेह की बीमारी से ग्रस्त थीं। बीमारी की असाध्यता को ध्यान में रखकर दीदी ने गत 3 सितंबर को अमरकंटक में आचार्य विद्यासागर महाराज के चरणों में श्रीफल अर्पित कर संल्लेखना व्रत धारण किया था।
मनीषा दीदी कठिनाइयों से जूझते हुए आदर्शमति माता के निर्देशन एवं देखरेख में 24 घंटे में 1 बार उबला हुआ जल ग्रहण कर हर पल संयम की साधना से धर्म, स्तुति, वंदन, मंत्र, आराधना में लीन थीं। माताजी का अंतिम संस्कार मोहनिया में शाम को नारियल, कपूर, शुद्ध घी, चंदन की लकड़ी से किया गया।