महामंडलेश्वर दाती जी महाराज ने कहा कि शनि ग्रह से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है अपितु उनकी अनुकूलता के लिए विधिवत अनुष्ठान एवं साधना करनी चाहिए। पुनर्जन्म के संचित सभी पाप कर्मों को दूर कर शनि महाराज मानव के जीवन को चमका देते हैं। संयमपूर्वक साधना करने से ही शनि देव फलीभूत होते।
शनिधाम असौला बेरी में शनि जयंती को उपासना हेतु यत्रंपीठ आदि तैयार किए गए थे जिसमें बड़ी संख्या में उपस्थित होकर साधकों ने विशेष पूजा-अर्चना की।
स्वामी जी ने कहा जो लोग अनुष्ठान नहीं कर पाते उन्हें स्नान आदि से पवित्र होकर पूजा स्थान में दीपक जलाकर ऊँ शं शनैश्चराय नमः का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए तथा आरती के बाद पुष्पांजलि अर्पित कर लौंग चढ़ाने चाहिए। इस प्रकार संक्षिप्त पूजा से भी शनि महाराज की आराधना होती है।