हालांकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सुबह 8.30 बजे के बाद सूतक काल होने के कारण बुधवार को गंगा स्नान करना उचित नहीं माना जाता है। इस दौरान गंगा घाटों पर सिर्फ पूजा-अर्चना का विधान है, लेकिन जानकारी के अभाव में बहुत से श्रद्धालु सूतक काल में भी गंगा घाटों पर डुबकी लगाते देखे गए।
सूतक काल शुरू होने से पहले विश्वप्रसिद्ध श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से चंद कदमों की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक दशाश्वमेध घाट एवं शीतला घाट के अलावा असि घाट सहित अधिकांश घाटों पर सुबह लगभग 4 बजे से भी श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। सुबह 8.30 बजे बाद सूतक काल शुरू होने से पहले तक श्रद्धालुओं का सैलाब देखा गया। उसके बाद स्नान करने वालों की संख्या में अपेक्षाकृत कमी देखी गई।
150 साल बाद होने वाले अद्भूत चन्द्र ग्रहण के कारण ऐतिहासिक दशाश्वमेध घाट पर शाम को होने वाली विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती बुधवार रात 9 बजे से शुरू होगी और मंदिरों के कपाट भी बंद रहेंगे। चन्द्र ग्रहण बुधवार शाम 5 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगा और 8 बजकर 42 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू होना माना जाता है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद करने की परंपरा है।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एसएन त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर दोपहर साढ़े 3.30 बजे से 5.30 घंटे के लिए बंद रहेगा तथा ग्रहण खत्म होने के बाद रात 9 बजे मंदिर फिर से दर्शन-पूजन के लिए खोल दिया जाएगा और अन्य दिनों की तरह सामान्य रूप से पूजा-अर्चना होगी। इसी प्रकार से अन्नपूर्णा मंदिर में अपहराह्न 3.30 बजे से रात 9.30 बजे तक कपाट बंद रहेंगे। संकटमोचन मंदिर एवं अन्य प्रमुख मंदिरों में भी सूतक काल के दौरान पूजा-अर्चना आंशिक रूप से नहीं होगी। (वार्ता)