दशहरे पर शमी पूजन का महत्व, जानिए

गुरुवार, 2 अक्टूबर 2014 (17:37 IST)
हिन्दू धर्म ग्रंथों में शमी पत्र को पूजन सामग्री में शामिल किया गया है। पद्म पुराण, नरसिंह पुराण, भविष्य पुराण में शमी पत्रों की महिमा का उल्लेख है। देवी पुराण के अनुसार पंचपुष्पों चम्पक, आम, कनेर, कमल के साथ शमी पुष्प भी शामिल है। 
 
आश्विन माह के दशहरे के दिन अपराह्न को शमी वृक्ष के पूजन की परंपरा विशेष कर क्षत्रिय व राजाओं में रही है। आज भी यह परंपरा कायम है। कहते हैं कि ऐसा करने से मानव पवित्र हो जाता है। इसके लिए घर या गांव के ईशान कोण (पूर्वोत्तर) में स्थित शमी का वृक्ष विशेष लाभकारी माना गया है। 
 
दशहरे के दिन शमी वृक्ष का पूजन अर्चन व प्रार्थना करने के बाद जल और अक्षत के साथ वृक्ष की जड़ से मिट्टी लेकर गायन-वादन और घोष के साथ अपने घर आने के निर्देश हैं। 
 
शमी पूजा के कई महत्वपूर्ण मंत्र भी हैं जिनका उच्चारण किया जाता है। इन मंत्रों में भी अमंगलों और दुष्कृत्य का शमन करने, दुस्वप्नों का नाश करने वाली, धन देने वाली, शुभ करने वाली शमी के प्रति पूजा अर्पित करने की बात कही गई है। 
 
ऐसी मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने के पूर्व शमी वृक्ष के सामने शिश नवाकर अपनी विजय हेतु प्रार्थना की थी। कहते हैं कि लंका पर विजय पाने के बाद राम ने भी शमी पूजन किया था। 

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