* पंचमी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा को पितरों के निमित्त दान इत्यादि करें।
* घर में भगवत गीता पाठ विशेषकर 11वें अध्याय का पाठ नित्य करें।
* पीपल की पूजा, उसमें मीठा जल तथा तेल का दीपक नित्य लगाएं। परिक्रमा करें।
* हनुमान बाहुक का पाठ, रुद्राभिषेक, देवी पाठ नित्य करें।
* श्रीमद् भागवत के मूल पाठ घर में श्राद्धपक्ष में या सुविधानुसार करवाएं।
* गाय को हरा चारा, पक्षियों को सप्त धान्य, कुत्तों को रोटी, चींटियों को शक्कर, आटा नित्य डालें।