स्वयंसिद्ध मुहूर्त है अक्षय तृतीया

वैशाख शुक्ल तृतीया को अखातीज यानी अक्षय तृतीया है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए कार्यों का फल अक्षय होता है। इसीलिए इसे अक्षय तृतीया कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु के रूप परशुराम का अवतरण हुआ था।


 
यह तृतीया (तीज)  अपने आप में स्वयंसिद्ध है। इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा-अर्चना करके विशेष रूप से खरबूजा और जल से भरी मटकी का दान किया जाएगा। 
 
भविष्य पुराण व स्कंद पुराण के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन माता रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में जन्म लिया था। परशुराम जयंती पर उनकी पूजा की जाती है तथा उनके आविर्भाव की कथा सुनी जाती है। 
 
यह दिन विवाहादि मांगलिक कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त है। जहां एक ओर शहनाई, ढोल की गूंज होगी और बड़ी संख्या में विवाह, सामूहिक विवाह समारोहों में का आयोजन किया जाएगा। 

 

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