प्रासंगिक है भर्तहरि का नीति वाक्य : धन की 3 गति

आज भी प्रासंगिक है भर्तहरि का यह नीति वाक्य 

 
'दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य । 
यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति ॥
 
धन की यह तीन गति होती हैं - दान, भोग और नाश.. लेकिन जो न तो धन को दान में देता है और न ही उस धन का भोग करता है, उसके धन की तीसरी गति तो निश्चित है.....! वर्तमान परिस्थिति में यह पंक्तियां प्रासंगिक हैं। 

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