मंगलवार, 4 जुलाई 2017 को देवशयनी एकादशी है। इसे पद्मा एकादशी भी कहते हैं। देवशयनी कहलाने का कारण भगवान विष्णु राजा बलि के यहां पाताल लोक में इस दिन से निवास करते हैं तथा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुन: बैकुण्ठ में आ जाते हैं। इस एकादशी से मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। एकादशी व्रत करने का विधान निम्नलिखित है-
पहले दिन दशमी की संध्या से यह व्रत किया जाता है। कांसे का बर्तन, चना, उड़द, मसूर, शहद, शाक, पराया अन्न, तामसिक भोजन, गृहस्थ का प्रयोग निषिद्ध है। धरती पर चटाई बिछाकर सोना, ब्रह्मचर्य का पालन तथा सत्य आचरण करना चाहिए।
एकादशी के दूसरे या तीसरे दिन प्रदोष होता है। यह व्रत करने से एकादशी का पूर्ण फल प्राप्त होता है। यदि शालिग्राम उपलब्ध हो तो उनका पूजन करें तथा लक्ष्मीजी का पूजन भी करें। दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। दूध-दही, शहद, गौघृत तथा शर्करा मिलाकर अभिषेक करना चाहिए। दूध, दही व फल ग्राह्य हैं।
निम्नलिखित मंत्र द्वारा तुलसी की माला से पूजन कर सकते हैं-
1. ॐ नमो नारायण, 2. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, 3. ॐ विष्णवे नम: इत्यादि। इति:।