दुनिया में कितने मुस्लिम इस्लाम धर्म छोड़ रहे हैं?

WD Feature Desk

बुधवार, 28 मई 2025 (17:20 IST)
दुनियाभर में ईसाई, बौद्ध और मुस्लिम धर्म के लोगों द्वारा अपनी स्वेच्छा से अपना धर्म छोड़कर या तो नास्तिक होने का प्रचलन बढ़ रहा है या फिर वे दूसरे का धर्म अपना रहे हैं। जहां तक मुस्लिमों के धर्म को छोड़ने की बात है तो पिछले कुछ वर्षों में यह रुझान देखा गया है। दुनियाभर में इस्लाम धर्म छोड़ने की प्रवृत्तियां अब बढ़ने लगी है। विशेषकर पश्चिमी देशों और कुछ मुस्लिम-बहुल देशों में। हालांकि भारत में भी अब यह प्रवृत्तियां देखने को मिल रही है।
 
हिंदू:
हिंदू धर्म से जुड़ने और छोड़ने को लेकर 36 देशों में किए गए सर्वेक्षण में केवल चार देशों में से ही पर्याप्त आंकड़े प्राप्त हुए हैं और इन देशों में बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल है। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी जगहों पर हिंदू धर्म छोड़ने का कारण जबरन धर्म परिवर्तन माना जा रहा है जबकि भारत में हिंदू धर्म छोड़ने का कारण ईसाई मिशनरिज वाला लालच देना और भ्रम में डालना माना जा रहा है। सर्वेक्षण किए गए देशों में हिंदू के रूप में पले-बढ़े लोगों का सबसे अधिक हिस्सा जो अब हिंदू के तौर पर नहीं पहचाने जाते हैं, वो अमेरिका (18%) और श्रीलंका (11%) में पाया गया।ALSO READ: ईरान क्यों छोड़ रहा है इस्लाम?
 
मुस्लिम:
जितने लोग इस्लाम छोड़ते हैं उससे तीन गुना लोग मुस्लिम परिवार में जन्म ले रहे हैं। उदाहरण के लिए नाइजीरिया जैसे गरीब देशों में एक मुस्लिम महिला करीब 6 से 7 बच्चों को जन्म देती है। इसलिए दुनिया में अन्य धर्मों की अपेक्षा मुस्लिमों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालांकि एक एनालिसिस में पता चला कि अमेरिका में 13% वयस्क जो मुस्लिम के रूप में पले-बढ़े थे, वो अब किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं। इसके अलावा 6 प्रतिशत वयस्क अब ईसाई के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। केन्या में (8%) और घाना (6%) में भी यही स्थिति पाई गई। इंडोनेशिया में सर्वेक्षण किए गए सभी वयस्कों में से 1% से भी कम ने कहा कि उन्होंने इस्लाम छोड़ दिया है। ईरान में 2020 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 40% लोग अब खुद को मुसलमान नहीं मानते। इसी तरह, ट्यूनीशिया, मोरक्को, और अल्जीरिया में भी युवा पीढ़ी में धर्म से विमुख होने की प्रवृत्तियाँ देखी जा रही हैं।
 
भारत में इस्लाम छोड़ने की प्रवृत्ति अपेक्षाकृत कम है, लेकिन केरल में कुछ मुसलमानों ने सार्वजनिक रूप से इस्लाम छोड़ने की घोषणा की है। केरल में 'एक्स-मुस्लिम डे' मनाने जैसी घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि कुछ लोग धीरे-धीरे इस्लाम छोड़ने की बात सार्वजनिक रूप से करने लगे हैं। भारत के अन्य हिस्सों में भी कुछ मुसलमानों ने इस्लाम छोड़ने की इच्छा जताई है, लेकिन सामाजिक दबाव और परिवारिक कारणों से वे खुलकर सामने नहीं आ पाते। Firstpost की एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में लगभग 6% मुसलमानों ने ईश्वर में विश्वास नहीं किया है। यदि भारत में मुसलमानों की संख्या 20 करोड़ है, तो 6% के हिसाब से लगभग 1.2 करोड़ लोग नास्तिक हो सकते हैं। 
 
2017 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 24% अमेरिकी मुसलमानों ने इस्लाम छोड़ दिया है। इनमें से अधिकांश लोग या तो नास्तिक हो गए हैं या ईसाई धर्म अपनाया है। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, यूरोप में 2010 से 2016 के बीच लगभग 160,000 लोग इस्लाम छोड़कर अन्य धर्मों को अपनाए या नास्तिक हो गए।
 
हालांकि दुनिया भर में एक्स-मुस्लिमों (Ex-Muslims) की संख्या का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, क्योंकि कई देशों में इस्लाम छोड़ने को लेकर सामाजिक और कानूनी दबाव होते हैं।
 
ईसाई:
दुनिया में लगभग 2.38 बिलियन लोग किसी न किसी तरह से ईसाई धर्म से जुड़े हुए हैं, लेकिन प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, 2015 से 2020 के बीच लगभग 13 मिलियन लोग ईसाई धर्म छोड़कर अन्य धर्मों में चले गए या नास्तिक हो गए। इसके 3 कारण बताए जा रहे हैं। पहला है चर्च पर से विश्वास उठना, जहां आए दिन यौन शोषण की घटनाएं हो रही है। दूसरा एलजीबीटीक्यू का समुदाय जिसे ईसाई धर्म मान्यता नहीं देता और तीसरा जो सबसे बड़ा कारण है धर्म की किताब की बातों पर विश्वास नहीं करना और विज्ञान की सोच को ज्यादा मानना, तर्क और तथ्य पर बात करना। इसके चलते religious nones नामक समुदाय एक बहुत बड़ा समुदाय बन गया है जो किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं। वे या तो नास्तिक है या अज्ञेयवादी।
 
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