1. हनुमान जी और शनिदेव की संयुक्त पूजा:
- उपाय: इस दिन सुबह स्नान के बाद हनुमान मंदिर जाएं या घर पर ही हनुमान जी और शनिदेव की पूजा करें। हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं, और शनिदेव को सरसों का तेल, काले तिल और नीले फूल (जैसे अपराजिता) अर्पित करें।
2. पितृ तर्पण और दान:
- उपाय: ज्येष्ठ अमावस्या पितरों के लिए विशेष होती है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, और थोड़ा दूध मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों के निमित्त तर्पण करें। आप ब्राह्मणों को भोजन कराएं या पितरों के नाम से दान करें।
3. पीपल के पेड़ की पूजा और दीपक:
- उपाय: इस दिन शाम के समय यानी सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। कम से कम 7 या 11 दीपक जला सकते हैं। पीपल के पेड़ की 7 या 11 बार परिक्रमा करें।
4. गरीबों और जरूरतमंदों को दान (काला दान):
- उपाय: इस दिन अपनी क्षमतानुसार काले रंग की वस्तुओं का दान करें, जैसे काले तिल, काली उड़द दाल, सरसों का तेल, काले वस्त्र, जूते-चप्पल, कंबल, लोहा आदि। विशेष रूप से किसी गरीब या असहाय व्यक्ति को दान करें।
5. शनि मंत्र, शनि चालीसा/सुंदरकांड का जाप या पाठ:
- उपाय: इस दिन 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। यदि संभव हो तो शनि चालीसा का पाठ करें। मंगलवार का संयोग होने के कारण सुंदरकांड का पाठ भी विशेष रूप से लाभकारी होगा, क्योंकि यह हनुमान जी को प्रसन्न करता है।