धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से पारसी धर्म व समाज भारतीयों के निकट है। पारसी 9वीं-10वीं सदी में भारत आए, ऐसे ऐतिहासिक प्रमाण हैं। भारत में प्रथम पारसी बस्ती का प्रमाण संजाण (सूरत निकट) का अग्नि स्तंभ है-जो अग्निपूजक पारसीधर्मियों ने बनाया।
अब पूरी दुनिया में पारसियों की कुल आबादी संभवत: 1,00,000 से अधिक नहीं है। ईरान में कुछ हजार पारसियों को छोड़कर लगभग सभी पारसी अब भारत में ही रहते हैं और उनमें से भी अधिकांश अब मुंबई में हैं।
पहले पारसी लोग कृषि में व बाद में व्यापार व उद्योग में लगे। भारतीय जहाज निर्माण को इन्होंने पुनःजीवित कर योरपियों से भारत को सौंपा। पारसियों द्वारा निर्मित जहाज ब्रिटिश नौसेना खरीदती थी (तब तक भाप के इंजन न थे)। फ्रामजी माणेकजी, माणेकजी बम्मनजी आदि ये पारसी नाम इस संबंध में प्रसिद्ध हैं।