इस बार सूर्य भगवान का मकर राशि मे प्रवेश काल अर्ध रात्रि में आने से मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी के दिन आ रहा है। इसलिए यह पर्व 15 जनवरी के दिन पूर्णकाल में ही मनाया जाए। ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि की मकर राशि में प्रवेश करेंगे। चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी है अतः इस प्रवेश काल दिन को ही मकर संक्रांति कहा जाता है। इस दिन मलमास समाप्त होकर सभी शुभ कार्य आरंभ होते है।
पौराणिक दृष्टि से मकर संक्रांति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन मां गंगा सागर में जा मिली थी। आज भी कोलकाता में गंगा सागर में मेला लगता है और महाभारत काल के भीष्म पितामाह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। इसके बाद सूर्य भगवान दक्षिणायन से 16 जनवरी को उत्तरायण हो जाते हैं। चूंकि अवंतिका तीर्थ में तिल भर बड़ी होने से इस पर्व का यहां विशेष महत्व रहता है।