लक्ष्मीजी 8 अवतार बताए गए हैं:- महालक्ष्मी, जो वैकुंठ में निवास करती हैं। स्वर्गलक्ष्मी, जो स्वर्ग में निवास करती हैं। राधाजी, जो गोलोक में निवास करती हैं। दक्षिणा, जो यज्ञ में निवास करती हैं। गृहलक्ष्मी, जो गृह में निवास करती हैं। शोभा, जो हर वस्तु में निवास करती हैं। सुरभि (रुक्मणी), जो गोलोक में निवास करती हैं और राजलक्ष्मी (सीता) जी, जो पाताल और भूलोक में निवास करती हैं।
अष्टलक्ष्मी माता लक्ष्मी के 8 विशेष रूपों को कहा गया है। माता लक्ष्मी के 8 रूप ये हैं- आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी। आओ जानते हैं कि संतानलक्ष्मी कौन है और माता का मंत्र क्या है।
संतान लक्ष्मी :
1. माता संतान लक्ष्मी की छह भुजाएं हैं। ऊपर के दोनों हाथों में कलश है, बीच के दोनों हाथों में क्रमशः तलवार और ढाल है और नीचे के एक हाथ अभय मुद्रा में, दूसरे हाथ से गोद में बैठे अपने बालक को माता ने थाम कर रखा है। संतान लक्ष्मी माता का स्वस्वरूप देवी स्कंदमाता के समान ही प्रेमपूर्ण है।
4. नि:संतान दंपत्ति द्वारा संतानलक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से संतान की प्राप्ति होती है। पूजा द्वारा देवी योग्य संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं। आपका दुर्भाग्य सदा के लिए सौभाग्य में बदल जाता हैं। संतान लक्ष्मी पूजा से आपको धन, वैभव, सुख और सम्पदा की प्राप्ति होती हैं।