विदुर नीति : 3 बातों पर कंट्रोल नहीं किया तो पछताएंगे आप

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हम सभी विदुर को हस्तिनापुर राज्य के महामंत्री और ‘महाभारत’ (vidur mahabharat) के महत्वपूर्ण पात्र के रूप में जानते हैं, जिन्हें द्वापर युग में हस्तिनापुर राज्‍य के कौरव-वंश की गाथा में विशेष स्थान प्राप्त है।

विदुर एक नीतिपूर्ण, न्याय के हिसाब से उचित (न्‍यायोचित) सलाह देने वाले माने गए है। उनकी सलाह में हमेशा संपूर्ण मनुष्‍य जाति की भलाई होती थी।

आइए यहां जानते हैं विदुर नीति (Vidur Niti) की 3 खास बातें...
 
1. महात्मा विदुर के अनुसार, जो लोग दूसरे के धन की चोरी, दूसरे का धन धोखा देकर हड़प लेते हैं, ऐसे लोगों को कितनी भी तरक्की मिल जाए तब भी किसी न किसी रूप में उन्हें इसकी कई गुना कीमत चुकानी पड़ती है। अत: कभी भी धन की चोरी और किसी का हिस्सा या धन नहीं हड़पना चाहिए।
 
 
2. जो पुरुष अच्छे कर्मों और पुरुषों में विश्वास नहीं रखता, गुरुजनों में भी स्वभाव से ही शंकित रहता है। किसी का विश्वास नहीं करता, मित्रों का परित्याग करता है।  जरूरत के समय अपने मित्र को अकेला छोड़ देता है, वह निश्चय ही अधर्मी होता है। अत: जीवन में मजबूती से खड़े रहने तथा मन में शंका न रखने की बात विदुर नीति में बताई गई है।
 
3. काम, क्रोध और लोभ यह 3 प्रकार के अवगुण नरक यानी दुखों की ओर जाने के मार्ग है। यह तीनों आत्मा का नाश करने वाले हैं, अत: हमेशा इससे दूर रहना चाहिए। यदि जीवन में हमेशा आगे की बढ़ना है और पारिवारिक खुशियां चाहिए तो इन तीनों अवगुणों का त्याग कर देना ही उचित है। 
 

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