नौनाथ की परम्परा में कई सिद्ध पुरुष हुए, जिनका स्थान असम, अरुणाचल से अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वत तक फैल गया। मान्यता अनुसार जहाँ-जहाँ नौनाथों की धूनी जली, वहाँ-वहाँ योगपीठ स्थापित हुए, जिनमें से एक पंजाब के हिसार में सुल्तानपुर ग्राम में भी था। यहाँ के पीठाधिपति इलायचीनाथ महाराज थे, जिनके शिष्यों-प्रशिष्यों की शाखाएँ पंजाब, कश्मीर, सिंध, क्वेटा, काबुल, कांधार, चमन, महाराष्ट्र और मालवा आदि क्षेत्रों में फैल गई थीं। इसी योगपीठ से बाबा शीलनाथ ने दीक्षा ग्रहण की थी।