यूं तो हमारी राशि में कई ग्रह स्थित होते हैं, मगर गुरु और शनि के आवागमन को क्यों महत्व दिया जाता है? इस विषय पर के.पी. विद्याधरन (ज्योतिषि) का कहना है कि सभी ग्रहों में गुरु को शुभ ग्रह की संज्ञा दी जाती है। हर साल गुरु भगवान एक राशि से दूसरी राशि में उतरते हैं। इस बार वह वृश्चिक राशि से धनु राशि में गए हैं। गुरु पयारची के मौके पर लाखों श्रद्धालु अलनगुड़ी, थेनथिरुथिट्टई , थिरुचेंदूर जैसे गुरु भगवान के प्रसिद्ध मंदिरों में जाते हैं। यदि उनका अच्छा समय चलता है, तो वे इसे कायम रखने की प्रार्थना करते हैं और अगर उनका बुरा समय चलता है तो उससे जल्द से जल्द छुटकारा पाने की प्रार्थना करते हैं।