जपान का सबसे प्रसिद्ध शहर क्योटो बहुत ही खूबसूरत है। इस शहर में असंख्य बौद्ध मठ स्थित हैं। क्योटो पारंपरिक और ऐतिहासिक धरोहर है। क्योटो के मंदिर, मठ, महल यूनेस्को के निरीक्षण में आता है। असंख्य प्राचीन सांस्कृतिक स्मारक पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। क्योटो जापान की पुरानी राजधानी मानी जाती है।
‘गिंकाकू-जी’ क्योटो का प्रसिद्ध बौद्ध मठ है। पंद्रहवीं सदी में शोगुन योशिमासा आशिंकागा ने इस इमारत को निर्मित किया था। परंतु 1490 ईस्वी में बौद्ध मठ बन गया था। केवल टोगू गो एवं गिंकाकूजी (सिल्वर पवेलियन) क्योटो में स्थित है।
‘टोगू डो’ जिसे ‘दक्षिण भवन’ भी कहते हैं। इस भवन में शोगुन आशिकागा रहते थे। भवन के अंदर प्रवेश करते ही दर्शक देख सकते हैं कि यहाँ पर पुजारी की प्रतिमा स्थित है। भवन के पिछले हिस्से में पारम्परिक तौर से चाय पीने की प्रथा चली आ रही है।
इस भवन को ‘दोजिन साई’भी कहा जाता था। गिंकाकू-जी दो इमारतों वाली स्मारक है। इस मठ में कदम रखते हुए शांत वातावरण को अनुभव करते हैं। मठ में ‘कानन दया’ के भगवान गर्भ गृह में श्रद्धा एवं भक्ति से स्थापित किए गए हैं। मठ के अंदर जापानी वास्तुशिल्प झलकता है। जापान के लोग भगवान ‘गीज़ो’ की पूजा आराधना करते हैं। मान्यता हैं कि भगवान गीज़ो बच्चों की रक्षा करते हैं।
रंग बिरंगे फूल एवं हरियाली के मध्य गिंकाकूजी के मठ स्थित हैं। वाटिका में एक खूबसूरत जलाशय स्थित है जिसके चारों ओर पत्थर एवं पेड़ पौधे लगाए गए हैं।
रंग बिरंगे फूल एवं हरियाली के मध्य गिंकाकूजी के मठ स्थित हैं। वाटिका में एक खूबसूरत जलाशय स्थित है जिसके चारों ओर पत्थर एवं पेड़ पौधे लगाए गए हैं। मठ के पास एक और वाटिका स्थित हैं जिसे ‘सीई ऑफ सिल्वर सैंड’ नाम से जाना जाता है।
कैसे पहुँचें -
अंतरराष्ट्रीय हवाई जहाज से क्योटो, जापान पहुँच सकते हैं।
क्योटो से बस के जरिये गिंकाकू-जी पहुँच सकते हैं।
मठ दर्शन करने के समयः- मार्च से लेकर के नवंबर तक प्रात 8.30 बजे से लेकर 5 बजे तक।दिसम्बर से लेकर मार्च तक प्रात 9 बजे से लेकर 4.30 बजे तक।
करीब 500 येन (लगभग 250 रुपए) मठ के दर्शन करने के लिए खर्च होते हैं।