अतिशय क्षेत्र का महत्व: 'अतिशय क्षेत्र' उन पवित्र स्थानों को कहा जाता है जहां चमत्कार यानी अतिशय घटित होते हैं या जहां विशेष आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव किया जाता है। श्री महावीर जी को इस रूप में मान्यता प्राप्त है क्योंकि यहां कई प्राचीन और चमत्कारी प्रतिमाएं स्थापित हैं और भक्तों ने यहां अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होते हुए अनुभव की हैं।
पौराणिक मान्यता और इतिहास: कहा जाता है कि इस स्थान का इतिहास सदियों पुराना है। मंदिर और प्रतिमा के संबंध में कई प्राचीन कथाएं और चमत्कार जुड़े हुए हैं, जो भक्तों की आस्था को और भी दृढ़ करते हैं। समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार होता रहा है, लेकिन इसकी मूल भावना और पवित्रता आज भी बनी हुई है। इस मंदिर निर्माण के पीछे की कथा के अनुसार कोई 400 साल पहले की बात है। एक गाय अपने घर से प्रतिदिन सुबह घास चरने के लिए निकलती थी और शाम को घर लौट आती थी। कुछ दिन बाद जब गाय घर लौटती थी तो उसके थन में दूध नहीं होता था।
अन्य आकर्षण: मुख्य मंदिर के अलावा, श्री महावीर जी क्षेत्र में कई अन्य जैन मंदिर और धार्मिक स्थल भी स्थित हैं, जिनका भी अपना ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व है। यहां ध्यान केंद्र, बहुकीमती रत्नों से निर्मित 24 तीर्थंकरों की कई लुभावनी मूर्तियां, खूबसूरत बगीचा, महावीर स्वामर की प्रतिमा के पावन उद्भव स्थल पर चरण चिह्न, चरण छत्री, मानस्तंभ, शांतिवीर नगर, पार्श्वनाथ भगवान का आकर्षक कांच मंदिर, कीर्ति आश्रम चैत्यालय, महावीर स्तूप आदि देखने योग्य स्थल है। यहां धर्मशालाएं और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं जो दूर-दूर से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए आरामदायक प्रवास सुनिश्चित करती हैं।
आस्था का केंद्र: श्री महावीर जी अतिशय क्षेत्र न केवल एक पूजा स्थल है, बल्कि यह जैन धर्म की शिक्षाओं, अहिंसा के संदेश और आध्यात्मिक शांति की खोज का भी एक प्रमुख केंद्र है। यहां आकर भक्त भगवान महावीर के आदर्शों को स्मरण करते हैं और अपने जीवन में धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।