मानव त्योहारों का बहुत ही शौकीन होता है और जब बात हो दीपावली की तो पूछो ही मत। आज पूरे भारतवर्ष में दीपावली का त्योहार बहुत ही उल्लासपूर्वक मनाया जाता है। फिर चाहे वह हिंदु हो या मुसलमान, सिख हो या ईसाई। भारत एक है यह ऐसे त्योहारों पर हमें दिखाई पड़ता है। तो आइए हम आपको गुजरात में कैसे मनाते हैं दीपावली इस बारे में कुछ बताते हैं।
दीपावली के दौरान गुजरात में 15 दिन पूर्व ही उसकी तैयारियाँ होनी शुरू हो जाती हैं। सबसे पहले तो बाजारों मे भीड़ लग जाती है। बच्चे अपने माता-पिता के साथ नए कपड़े खरीदने जाते हैं। स्त्रियाँ घर की सजावट की चीजों में मशगूल हो जाती हैं और 15 दिन पहले से ही घर की साफ-सफाई में लग जाती हैं उसके बाद वो घर में ही अपने हाथों से सारी मिठाइयाँ बनाती हैं और अलग-अलग प्रकार के नमकीन बनाती हैं।
लो अब हो गई दीपावली की शुरुआत। आ गई वाघ बारस तो हो गए त्योहार शुरू। जी हाँ गुजरात में वाघ बारस के दिन से ही दीये जलाने की शुरुआत हो जाती है। हरेक के घर के आगे दीये जलाए जाते हैं। इस दिन से लेकर दस दिन तक त्योहार शुरू हो जाते हैं। उस दिन व्यापारी अपने सारे पुराने हिसाबों को निपटाकर नए की शुरुआत करते हैं। उसके बाद आती है धनतेरस। धनतेरस के दिन हरेक घर में लक्ष्मीपूजन होता है और माताजी को छप्पन भोग लगते हैं। सारे घर के लोग एकत्र होकर माँ लक्ष्मी की आराधना करते हैं। माँ लक्ष्मी की कृपा हमेशा उन पर बनी रहे, ऐसी कामना करते हैं।
WD
WD
उसके बाद आती है काली चौदस। उस दिन पूरे गुजरात में हरेक के घर में तेल की तली हुई चीज अवश्य बनती है। जिसको कलह(ककळाट) बोलते हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से घर में से बुरी हवा निकल जाति है और शांति स्थापित होती है। इस दिन अनेक स्शानों पर तांत्रिकों द्वारा तांत्रिक विधियाँ भी होती हैं।
फिर आती है दीपावली, जिसका हरेक मानव को बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता है। दीपावली के दिन बाजार को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। बड़ी-बड़ी कंपनियों में विशेष दीपावली पूजन होता है। चारों तरफ खुशी का वातावरण छा जाता है। रात भी दिन जैसी जगमगाती है। बच्चे से लेकर बड़े तक सब पटाखे फोड़ते नजर आते हैं। हरेक के आँगन मे रंगोली होती है। पूरा घर दीयों की रोशनी से जगमगाता नजर आता है। तरह-तरह के मिष्टान्न खाए जाते हैं।
WD
WD
अब उसके दूसरे दिन आता है गुजरातियों का नया साल। सुबह सभी लोग जल्दी से उठकर तैयार हो जाते हैं। नए कपड़े पहनकर सबसे पहले भगवान के आशीर्वाद लेने मंदिर जाते हैं। उसके बाद बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं और फिर सगे-संबंधी से मिलने हरेक के घर जाते हैं और नए साल की बधाइयाँ देते हैं और मिठाई से एक-दुसरे का मुँह मीठा करवाते हैं। पूरे गुजरात में नए साल से लेकर पांचम तक बाजार की सारी दुकानें बंद रहती हैं। उस दिन पूरे गुजरात में जश्न जैसा माहोल रहता है। एक-दुसरे को बधाइयाँ देने की यह रीत करीबन 15 दिन तक चलती रहती है।
इस वक्त पूरा गुजरात एक अलग ही रंग में रंग जाता है। गुजरात के हरेक मानव के चेहरे पर एक अलग ही खुशी झलकती है। दीपावली के साथ-साथ न्यू ईयर का ये मिलाप सभी परिवारजनों को और भी निकट ला देता है।