मध्यप्रदेश के इंदौर जिले से 35 किलोमीटर दूर बाई ग्राम में नवग्रह शनि मंदिर से 18 किलोमीटर आगे स्थित ग्राम ओखला में ओखलेश्वर मठ में हनुमानजी की स्वयंभू प्रतिमा है। ब्रह्मलीन ओंकारप्रसादजी पुरोहित (पारीक बाबा) ने 1976 में यहाँ अक्षय तृतीया के दिन जो अखंड रामायण पाठ प्रारंभ किया था, वह अब भी जारी है और अनवरत जारी रहेगा।
यहाँ हनुमानजी की प्रतिमा की एक खासियत है कि वे शिवलिंग उठाए हुए हैं जबकि अमूमन वे पर्वतधारी के रूप में ही देखे जाते हैं। मठ पर हर माह रोहिणी नक्षत्र के दिन पुजारी सुभाषचंद्रजी के सान्निध्य में हनुमानजी को चोला चढ़ाया जाता है। रामनवमी, शिवरात्रि और हनुमान जयंती पर यहाँ मेले का विशेष आयोजन भी होता है।
मुकेश तिवारी के अनुसार, मठ तक पहुँचने के लिए दर्शनार्थियों को भारी मशक्कत भी करना पड़ती है, क्योंकि बाई ग्राम से 18 किमी तक मार्ग बेहद उबड़-खाबड़ है। इस ओर शासन-प्रशासन के साथ ही जनप्रतिनिधियों का भी अनेक बार ध्यान आकृष्ट कराया गया, पर स्थिति आज भी जस की तस है।