Gayatri Jayanti : गायत्री जयंती पर जानें माता के 6 खास मंदिरों की जानकारी

WD Feature Desk

सोमवार, 17 जून 2024 (11:55 IST)
Gayatri Jayanti 2024 :श्रावण पूर्णिमा के समय गायत्री जयन्ती व्यापक रूप से स्वीकार की जाती है। परंतु हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 17 जून 2024 सोमवार के दिन मनाई जा रही है। वैसे तो जहां भी श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा स्थापित गायत्री शक्तिपीठ की स्थापना की गई हैं वहां पर गायत्री माता का मंदिर भी है परंतु देश में 6 प्रमुख गायत्री मंदिर है जहां हर कोई जाना चाहेगा।
ALSO READ: Gayatri Jayanti 2024: गायत्री जयंती पर इस मुहूर्त में करें पूजा, जानें मंत्र का अर्थ
गायत्री मंदिर, मथुरा : मधुरा में गायत्री माता का प्राचीन मंदिर है जो मथुरा वृंदावन रोड पर स्थित है, जिसे गायत्री तपोभूमि के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि यह श्रीराम शर्मा द्वारा स्थापित किया गया विश्‍व का पहला गायत्री मंदिर है। जिसका निर्माण व स्थापना सन्यासी श्री वेदमूर्ति पंडित श्री राम शर्मा आचार्य द्वारा सन् 1953 में किया गया था। इस मंदिर में 2400 तीर्थ स्थानों से पवित्र रज और जल इस मंदिर में रखे हुए हैं। साथ ही 2400 करोड़ बार हाथों से लिखे हुए गायत्री मंत्र भी इस मंदिर में रखे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि हरिद्वार शांतिकुंज वाले गायत्री परिवार ने देश-दुनिया में गायत्री शक्तिपीठ स्थापित कर रखें हैं वहां पर आप गायत्री मंदिर में माता गायत्री के दर्शन कर सकते हैं।
 
गायत्री मंदिर, पुष्कर : राजस्थान के पुष्करजी में स्थित गायत्री माता के मंदिर को सबसे प्राचीन माना जाता है। पुष्करजी में एक तो माता सती का शक्तिपीठ है, दूसरा ब्रह्माजी का प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां पर गायत्री माता भी विराजमान है और तीसरा माता सावित्री का मंदिर है। ALSO READ: Gayatri jayanti 2024: कौन हैं माता गायत्री, जानें उनके बारे में 7 रोचक बातें
 
गायत्री मंदिर, हाटपीपल्या : आपने किसी देवी या देवता के 2, 3, 4 या 5 मुख की मूर्ति के संबंध में तो सुना ही होगा और देखा भी होगा। लेकिन आपने यह कभी नहीं सुना होगा कि किसी देवी या देवता के तीन या पांच पैर होते हैं। मध्यप्रदेश में एक ऐसी जगह गायत्री माता की मूर्ति रखी हुई है जिसके तीन पैर हैं। मध्यप्रदेश के देवास जिले से करीब 45 किमी दूर हाटपीपल्या गांव के नृसिंह मंदिर में स्थापित है गायत्री माता की एक विचित्र मूर्ति। इस प्रतिमा के बारे में भी मान्यता हैं कि इसका दर्शन करने से सभी तरह की मनोकामना पूरी होती है। 
 
गायत्री मंदिर, हरिद्वार : शांतिकुंज हरिद्वार के सबसे प्रसिद्ध आश्रमों में से एक है। आश्रम हरि की पौड़ी से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। शांतिकुंज की स्थापना पंडित श्री राम शर्मा आचार्य ने की थी, जो एक स्वतंत्रता सेनानी, संत और दार्शनिक थे। गायत्री माता का यह स्थान प्राचीनकाल में गायत्री के उपासक विश्‍वामित्र की तपोभूमि था। इसी जगह पर यह मंदिर और आश्रम स्थापित है। ALSO READ: गायत्री जयंती कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
 
गायत्री मंदिर, हल्दानी : उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में माता गायत्री का मंदिर करीब 150 साल पुराना है। इस मंदिर की खास बात यह भी है कि यह मंदिर वट के पेड़ के नीचे स्थित है। इस मंदिर में माता गायत्री के साथ-साथ भगवान शंकर और शनिदेव की प्रतिमा भी प्राण प्रतिष्ठित की गई है। 
 
गायत्री मंदिर, मनाली : भारत के हिमाचल प्रदेश के मनाली में भी गायत्री मंदिर स्थित है जो पर्यटकों को तीर्थ यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की वास्तु कला से सभी लोग आकर्षित होकर जहां चले आते हैं। 

इसके अलावा मैसूर में भी एक बहुत पुराना गायत्री मंदिर है जो वहां के राजा ने बनवाया था। 
 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी