सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं। इनमें गुप्त द्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट या सहस्रधारा घाट, ऋणमोचन घाट, शिवाला घाट, जटाई घाट, अहिल्याबाई घाट, धौरहरा घाट, नया घाट और जानकी घाट आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।
19 वीं सदी में राजा दर्शन सिंह द्वारा इसका नवनिर्माण करवाया गया था। घाट पर राम जानकी मंदिर, पुराने चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर और हनुमान मंदिर स्थित है, जिसके लोग दर्शन कर सकते हैं। यहीं पर घाट के निकट मिलिट्री मंदिर, अंग्रेजी हुकूमत के दौर से सुव्यवस्थित कम्पनी गार्डन एवं राजकीय उद्यान भी है जहां शहरवासी परिवार के साथ छुट्टीयां मनाते हैं। बक्सर की युद्ध विजय के बाद तत्कालीन नबाब शुजा-उद-दौला द्वारा निर्मित एतिहासिक किला, गुप्तार घाट से चंद कदमों की दूरी पर स्थित है।
सहस्रधारा घाट : स्कन्द पुराण के अनुसार यहां सहस्रधारा घाट पर श्रीराम से पूर्व ही लक्ष्मणजी ने अपना शरीर छोड़ा और शेषनाग के रूप में दिखाई दिए थे। उसके बाद वो अपने पाताल लोक चले गए और उनके शरीर के स्थान पर वहां शेषावतार मंदिर बनाया गया। मान्यता है कि इस घाट पर पहुंचकर झूठ नहीं बोला जाता अन्यथा उस पर मृत्यु मंडराने लगती है। नाग पंचमी के दिन यहां बहुत बड़ा मेला लगता है इस दिन इस मंदिर में पूजा का विशेष महत्त्व है।